Tuesday, 30 November 2021

GHAZAL.. KRISHNA BIHARI NOOR.. AAG HAI MITTI HAI PAANI HAI HAVA HAI MUJH..

आग है, मिट्टी है, पानी है, हवा है मुझ में।
और फिर मानना पड़ता है ख़ुदा है मुझ में 

There are fire, air, earth 'n water within me.
And then I have to agree there's
God within me 

अब तो ले दे के यही शख़्स बचा है मुझ में। 
मुझ को जो मुझसे जुदा कर के छुपा है मुझ में।

Now he is all that is left within me. 
One who's separate, yet hidden within me.

आईना ये तो बताता है मैं क्या हूँ लेकिन। 
आईना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझ में ? 

Mirror just tells me what I look like. 
But it's silent about what's within me ? 

अब तो बस जान ही देने की है बारी ऐ 'नूर' ।
मैं कहाँ तक करूँ साबित कि वफ़ा है मुझ में ? 

O 'Noor', it's time to part with the life. 
How far can I prove constancy within me ? 

No comments:

Post a Comment