Tuesday 30 November 2021

GHAZAL.. KRISHNA BIHARI NOOR.. WOH LAB KI JAISE SAAGHAR- E- SAHBAA DIKHAI DE...

वो लब कि जैसे साग़र-ए-सहबा दिखाई दे।
जुंबिश जो हो तो जाम छलकता दिखाई दे। 

Those lips in which twin cups of wine can be seen. 
A touch 'n overflowing cup of wine can be seen. 

दरिया में यूँ तो होते हैं क़तरे ही क़तरे सब। 
क़तरा वही है जिस में कि दरिया दिखाई दे। 

There are drops and drops that make a stream. 
But the drop is one in which stream can be seen. 

क्यूँ आईना कहें उसे पत्थर न क्यूँ कहें ? 
जिस आईने में अक्स न उनका दिखाई दे

Why label it a mirror, why not a stone ? 
A mirror in which her image can't be seen. 

उस तिश्ना-लब की नींद न टूटे ख़ुदा करे। 
जिस तिश्ना-लब को ख़्वाब में दरिया दिखाई दे। 

Disturb not sleep of that dry lipped, pray.
The one in whose dream, stream can be seen. 

कैसी अजीब शर्त है दीदार के लिए। 
आँखें जो बंद हों तो वो जल्वा दिखाई दे। 

What a strange condition is set for her glimpse ? 
When you close your eyes, her face can be seen. 

क्या हुस्न है, जमाल है, क्या रंग रूप है ? 
वो भीड़ में भी जाए तो तन्हा दिखाई दे। 

What beauty, what elegance 'n what looks ? 
Even when in crowd, so distinctly can be seen. 



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