Friday 12 November 2021

JAVED AKHTAR.. GHAZAL.. KAL JAHAAN DEEWAR THI HAI AAJ IK DAR DEKHIYE...

कल जहाँ दीवार थी है आज इक दर देखिए। 
क्या समाई थी भला दीवानेके सर देखिए।

Yesterday there was a wall, today there's a way.
Some ideas in the lunatic's mind did sway.

पुरसुकूँ लगती है कितनी झील के पानी पे बत। 
पैरों की बेताबियाँ पानी के अंदर देखिए।

The duck looks peaceful on surface of lake. 
Only turmoil of feet inside water can pay. 

छोड़ कर जिसको गए थे आप कोई और था।
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आकर देखिए। 

Whom you had left, was someone else. 
Come back 'n see I am different every way.

छोटे से घर में थे देखे ख़्वाब महलों के कभी। 
और अब महलों में हैं तो ख़्वाब में घर देखिए। 

In a small house I had dreamt of palace. 
Now from palace I dream of home all the way. 

अहले-इंसानी इधर, आफ़ाक़ की वुस'अत उधर।
इक मज़ा है यहाँ, अंदर है कि बाहर देखिए।

Human brain inside, universal expanse on the other. 
There is one world inside or outside in the sway. 

अक़्ल ये कहती है दुनिया मिलती है बाज़ार में। 
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए। 

The brain says, world can be sought from the mart. 
The heart tells we should look for a better way. 

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