Thursday, 4 November 2021

MIR TAQI MIR.. GHAZAL.. MUNH TAKAA HI KARE HAI JIS TIS KA...

मुँह तका ही करे है जिस तिस का ।
हैरती है ये आईना किस का ।

To look at each face is keen. 
Whose face has mirror seen. 

शाम ही से बुझा सा रहता है।
 दिल हुआ है चिराग़ मुफ़लिस का। 

A dying out light emits. 
Poor man's lamp heart has been. 

फ़ैज़ ऐ अब्र चश्म-ए-तर से उठा। 
आज दामन वसीअ है इस का। 

O cloud glorified wet eyes. 
Widespread it's cloak has been. 

सब्र किस कोजो हाल-ए-मीर सुने। 


Who has time to listen about 'Mir'? 
Condition of gathering all have seen. 



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