Tuesday 9 November 2021

NASIR KAZMI... GHAZAL.. DIL MEN AUR TO KYA RAKHA HAI..

दिल में और तो क्या रखा है।
तेरा दर्द छुपा रखा है। 

What else is there in heart. 
Your pain hidden in a part. 

इतने दुखों की तेज़ हवा में। 
दिल का दीप जला रखा है। 

In swift winds of pain.
Alit is lamp of heart. 

धूप से चेहरों ने दुनिया में। 
क्या अंधेर मचा रखा है। 

Sunny faces of world. 
Do injustice impart. 

इस नगरी के कुछ लोगों ने। 
दुख का नाम दवा रखा है। 

Some people in this place. 
Call pain as drug in mart. 

वादा-ए-यार की बात न छेड़ो।
ये धोका भी खा रखा है। 

Leave aside promise of pals. 
I have seen them retort. 

भूल भी जाओ बीती बातें। 
इन बातों में क्या रखा है। 

Forget bygone things.
 It is nothing smart. 

चुप चुप क्यूँ रहते हो 'नासिर'। 
ये क्या रोग लगा रखा है। 

Why are you silent 'Nasir' 
This is bad for heart. 

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