Thursday, 23 December 2021

BASHIR BADR.. GHAZAL.. WOH SHAAYAD DILON KO DHADAKNE NA DENGE...

वो शायद दिलों को धड़कने न देंगे।
गुलों से महकने का हक़ छीन लेंगे। 

May be, they won't let hearts throb. 
Flower's right to fragrance rob.

हमारे दिलों के दिए बुझ चुके हैं। 
हम आँखों की तहरीर कैसे पढ़ेंगे ?

Put out are lamps of our hearts. 
How 'll we read eyes, snob ? 

हमारे बदन भी हमारे नहीं हैं। 
उसे छू के महसूस कैसे करेंगे ? 

Even our bodies we don't own. 
How' ll we touch and feel, sob! 

लहू का समंदर है पलकों के पीछे। 
ये रौशन जज़ीरे महकते रहेंगे। 

Behind eye- lashes, is sea of blood. 
Fragrant lit islands will  bob. 

सुनहरे सुनहरे परों वाले बादल। 
खुले गेसुओं की महक ले उड़ेंगे। 

Clouds on their golden wings. 
Fragrance of her tress, will rob. 

कभी सर्द सावन, कभी ज़र्द जाड़े। 
दरख़्तों के कपड़े बदलते रहेंगे। 

Green rain cover, cold yellow bark. 
Dress of trees keeps changing, snob ! 

जिन्हें रौशनी का बदन ओढ़ना है। 
वो कोहरे की चादर लपेटे रहेंगे। 

Those who need light body as cover. 
Will wrap sheets of fog, light job. 

 वसीला है इंसान, राज़िक ख़ुदा है। 
 जो दर बंद होंगे, दरीचे खुलेंगे। 

Man is means, provider God ! 
If doors close, windows lob. 

अज़ल से अबद तक सफ़र ही सफ़र है। 
मुसाफ़िर हैं, सब लोग चलते रहेंगे। 

It's a journey from start to end. 
We are travellers, a moving job! 


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