Wednesday, 2 February 2022

TODAY 'S 5 COUPLETS

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं।
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है।.......... अमीर मीनाई............

 All boats ultimately reach the shore.
In boatman's absence, God's all the more.

ग़ुस्सा क़ातिल का न बढ़ता है न कम होता है। 
एक सर है कि वो हर रोज़ क़लम होता है।............. मंज़र लखनवी............

Murderer's anger neither waxes nor is waned.
There is one head, which gets daily slained.

दिन तो फिर दिन है गुज़र जाता है । 
रात कटती है बड़ी मुश्किल से। 
.......... नासिर कार गंजई........... 

Day is spent, it is daylight. 
It's difficult to spend night. 

सरकशी ख़ुदकुशी पे ख़त्म हुई। 
एक रस्सी थी जल गई शायद। 
..........वामिक़ जौनपुरी............ 

Rebellion culminated in suicide. 
A cord, probably burnt inside.

ये लम्हा लम्हा ज़िंदा रहने की ख़्वाहिश का हल है। 
कि लहजा लहजा अपने ही में मर रहा हूँ मैं।.......... मुशफ़िक़ ख्वाजा........... 

It's result of moment wise wish to live on. 
That slowly I am dying within my own. 


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