Tuesday 15 March 2022

BASHIR BADR... GHAZAL... APNE PAHAAD GHAIR KE GULZAAR HO GAYE.......

अपने पहाड़ ग़ैर के गुलज़ार हो गये।
ये भी हमारी राह की दीवार हो गये। 

For rivals, our hills became gardens to greet. 
Stone-walled our way, forced
 us to retreat. 

फल पक चुका है शाख़ पे गर्मी की धूप में 
हम अपने दिल की आग में तैयार हो गये। 
 Fruit is ripe on branch in summer sun. 
We got cooked in  fire of heart upbeat. 

हम पहले नर्म पत्तों की इक शाख़ थे मगर
काटे गये हैं इतने कि तलवार हो गये। 

Earlier, I was a twig with soft leaves. 
Sliced many times, to be sword in heat. 

बाज़ार में बिकी हुई चीज़ों की माँग है
हम इस लिए ख़ुद अपने ख़रीदार हो गये

There's demand of pre-sold things in mart. 
So I have purchased myself 
In  street. 

ताज़ा लहू भरा था सुनहरे गुलाब में। 
इंकार करने वाले गुनह-गार हो गये। 

Fresh blood was filled within golden rose. 
One who denied, became sinner replete. 

जो सरकशों के पाँव की ज़ंजीर थे कभी 
अब बुज़दिलों के हाथ में तलवार हो गये

They were foot-chains for heads held high. 
Are swords in hands of cowards in street. 



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