मिला सहारा भक्त का, खड़े रहे भगवान।
भीगा पग मम हाथ पर, सर पर रखिए हाथ।
मिले मुझे आशीश यूँ, तर जाऊँ रघुनाथ।
इस जल का सेवन करूँ मैं, मेरा परिवार।
पितरों का तर्पण करूँ इस से अंतिम बार।
लिया आपने हे हरि, कछुए का अवतार।
मैं परिजन था छू सका पैर न पर उस बार।
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