मिरा बचपन, मिरे जुगनू, मिरी गुड़िया
ला दे।..... नोशी गिलानी........
I want nothing from you, O years long gone !
Give childhood, glow-worms 'n puppet-zone.
हर घड़ी इक नया तक़ाज़ा है।
दर्द-ए-सर बन गया बदन मेरा।
............ अमीक़ हनफ़ी..........
Every time, there is a new demand.
My body became a head-ache, grand.
तमाम शहर की आँखों में रेज़ा रेज़ा हूँ।
किसी भी आँख से उठता नहीं मुकम्मल मैं।.......... फ़रहत अहसास..........
In whole city eyes, I am chunk of sand particles here.
No eye has the capacity to pick me up fully, O dear !
आँखों में कैसे तन गई दीवार-ए-बे-हिसी।
सीनों में घुट के रह गई आवाज़ किस तरह
?.......अमजद इस्लाम अमजद..........
A feeling-less wall has stretched in the eyes.
How voice got stifled in chest, knew skies !
तमन्ना है ये दिल में जब तलक है दम में दम अपने।
'ज़फ़र' मुँह से हमारे नाम उन का दम-ब-दम निकले।... बहादुर शाह ज़फ़र..
As long as I am alive, let survive this heart desire.
O 'Zafar'! From my lips, let
only her name rapid - fire.
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