Monday, 14 March 2022

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

कुछ नहीं चाहिए तुझ से मिरी ऐ उम्र-ए-रवाँ।
मिरा बचपन, मिरे जुगनू, मिरी गुड़िया 
 ला दे।..... नोशी गिलानी........

I want nothing from you, O years long gone ! 
Give childhood, glow-worms 'n  puppet-zone.

हर घड़ी इक नया तक़ाज़ा है। 
दर्द-ए-सर बन गया बदन मेरा।
............ अमीक़ हनफ़ी..........

Every time, there is a new demand.
My body became a head-ache, grand.

तमाम शहर की आँखों में रेज़ा रेज़ा हूँ। 
किसी भी आँख से उठता नहीं मुकम्मल मैं।.......... फ़रहत अहसास.......... 

In whole city eyes, I am chunk of sand particles here. 
No eye has the capacity to pick me up fully, O dear ! 

आँखों में कैसे तन गई दीवार-ए-बे-हिसी। 
सीनों में घुट के रह गई आवाज़ किस तरह
 ?.......अमजद इस्लाम अमजद.......... 

A feeling-less wall has stretched in the eyes. 
How voice got stifled in chest, knew skies ! 

तमन्ना है ये दिल में जब तलक है दम में दम अपने।
'ज़फ़र' मुँह से हमारे नाम उन का दम-ब-दम निकले।... बहादुर शाह ज़फ़र..

As long as I am alive, let survive this heart desire. 
O 'Zafar'! From my lips, let
 only her name rapid - fire. 


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