Tuesday, 15 March 2022

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

हुई न आम जहाँ में कभी हुकूमत-ए-इश्क़ 
सबब ये है कि मोहब्बत ज़माना-साज़ नहीं
........... इक़बाल........

Never was love in world on the emperor 's list.
So love is not opportunist, pops up the gist.

ये चराग़ जैसे लम्हे कहीं राएगाँ न जाएँ 
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़िलाब लाओ..... राही मासूम रज़ा..... 

 These lighted moments, let us just not waste. 
Why not revolt or see some dream in haste ? 
 
मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले 
हँसी आ रही है तिरी सादगी पर 
गोपाल मित्तल

It's my life that you are praying for. 
I am laughing, how simple you are. 
 
हुए मदफ़ून-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वाले 
तमांचे मौज के खाते थे जो बन कर गुहर निकले........ इक़बाल.......

Those swimming under water, got a watery grave. 
They became pearls, who faced the slaps of wave.

अग़्यार क्यूँ दख़ील हैं बज़्म-ए-सुरूर में 
माना कि यार कम हैं पर इतने तो कम नहीं........ इस्माइल मेरठी..........

In this ecstatic meeting, why are rivals there ?
Agreed that friends were less, but not so rare. 

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