इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला।.... सरवर आलम राज़......
Complaint, tear, wish, unfulfilled desire 'n hope.
Your mention alone had in it all this scope.
यूँ चार दिन की बहारों के क़र्ज़ उतारे गए
तुम्हारे बाद के मौसम फ़क़त गुज़ारे गए।
............ मनोज अज़हर..........
Four days of spring debt was cleared this way.
Seasons after you, were just passed anyway.
बड़े सीधे-सादे बड़े भोले-भाले।
कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा।
..... आग़ा शायर क़ज़लबाश.......
Very simple, very innocent, wow !
Looking at your face, 'll say now.
लम्हा लम्हा रोज़ सँवरने वाला तू।
लम्हा लम्हा रोज़ बिखरने वाला मैं।
...... जावेद अकरम फ़ारूक़ी........
Every moment of the day, you rectify.
Every moment, daily, do scatter I.
मिरी मुश्किल मिरी मुश्किल नहीं है।
वसीला तेरी आसानी का मैं हूँ।
.......... ख़ुर्शीद तलब....... ....
My difficulty is not my own unease.
I am the one recommending your ease.
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