Thursday, 31 March 2022

TETRADS.......

निंदिया ! संग सजन के आजा।
वर्ना जिधर तेरे मन में, जा।
बिछुड़ी रह, तू भी साजन सम।
बन्द मिलें उन बिना, नयन मम।
..... रवि मौन.....

कल तक इच्छा थी, तू आए।
जब जाना, बलमा नहीं आए। 
कैसे तुझ को गले लगाऊँ ? 
निंदिया ! उनका स्थान दिखाऊँ ? 
..... रवि मौन..... 

मुझे देखना, रूठे कब तक ? 
साँस मेरी चलती है जब तक ! 
निर्मोही ! तब तक मत आना। 
चिंता का, बस बिंदु हटाना ! 
..... रवि मौन..... 

नैनम् को न एनम् , दिखना ! 
अर्थ शब्द का जी भर चखना। 
मैं आत्मा हूँ, तन तेरा है। 
मुझ से लेले, जो तेरा है ! 
..... रवि मौन..... 

किसे सताएगा फिर आकर ? 
अश्रु, आँख में किसके पाकर ? 
तू, यूँ ही मुस्करा सकेगा ? 
किसे, हृदय से लगा सकेगा ? 
..... रवि मौन..... 

जो तेरे मन में है, कर ले। 
अधर, अ धर ही मेरे रहेंगे। 
किस को अपनी व्यथा सुनाऊँ ? 
सुन लूँगी, जो लोग कहेंगे ! 
..... रवि मौन..... 

कर्ण न रण से कभी भगेगा ! 
प्राण त्याग देगा, न सुनेगा। 
सुनी न माँ की, ना भगवन् की। 
सुनी मित्र की, या फिर मन की ! 
..... रवि मौन..... 

तुम मेरे हो, हाँ, यह सच है। 
किंतु आयु ही देह-कवच है। 
इसे बीतने देने का फल। 
भोगेंगे हम दोनों प्रतिपल। 
..... रवि मौन..... 


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