Sunday, 17 April 2022

CHOSEN TWENTY COUPLETS OF RAJENDRA MANCHANDAA 'BAANI'

वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था

कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए


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  • वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था 
कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए 

For breaking relations, it was a beautiful end. 
Silence had set in, during talks from each end. 

ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था। 
क़ायल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था। 
My friend, I was not silent out of fear. 
I was unconvinced inside,O my dear. 

ओस से प्यास कहाँ बुझती है ? 
मूसला-धार बरस मेरी जान ! 

How can dew quench the thirst ? 
O my love ! Let it be cloudburst. 

ढलेगी शाम यहाँ कुछ नज़र न आएगा। 
फिर इसके ब'अद बहुत याद घर की आएगी। 

As evening will set, here nothing will be in view. 
After that, home memories will be long overdue. 

ज़रा छुआ था कि बस पेड़ आ गिरा मुझ पर। 
कहाँ ख़बर थी कि अंदर से खोखला है बहुत। 

The tree fell upon me just by one little touch. 
How to know, it was filled with devoid so much ! 

'बानी' ज़रा संभल के मोहब्बत के मोड़ काट। 
इक हादसा भी ताक में होगा यहीं कहीं। 

O 'Baani' on love curve, drive with care. 
An awaiting accident will be somewhere. 

आज क्या लौटते लम्हात मयस्सर आए ? 
याद तुम अपनी इनायात से बढ़कर आए। 
 Were returning moments available in today's game ? 
Even beyond your kindness, your memories came. 

उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा। 
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई। 

Memory filled burning air of a sad eve'. 
Brought us back at old site to relieve. 

दिन को दफ़्तर में अकेला, शब भरे घर में अकेला। 
मैं कि अक्स-ए-मुंतशिर एक एक मंज़र में अकेला। 

Alone at office in day, in night- filled home alone. 
I am a scattered reflection, in every scene, alone. 

इस क़दर ख़ाली हुआ बैठा हूँ अपनी ज़ात में। 
कोई झोंका आएगा जाने कहाँ ले जाएगा? 

I am seated so vacant within my own.
Breeze will take me away with it's own. 

तू कोई ग़म है तो दिल में जगह बना अपनी। 
तू इक सदा है तो एहसास की कमाँ से निकल। 

As a grief, get established within the heart. 
As a sound, from the bow of feeling, depart. 

न जाने कल हों कहाँ, साथ अब हवा के हैं। 
कि हम परिंदे मक़ामात-ए-गुम-शुदा के हैं। 
Where will we be tomorrow, are with the wimd now. 
Because we are the birds of lost goals, anyhow. 

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं। 
शफ़क़ शजर तस्वीर बनाने वाला मैं। 

Unseating green golden dust, roaming free. 
I paint pictures of twilight as well as tree. 

वो हँसता खेलता इक लफ़्ज़ कह गया 'बानी'। 
मगर मिरे लिए दफ़्तर खुला मआनी का। 

'Baani' laughing, playing,  one word he said. 
For me, to an office of meanings, it lead. 

 कोई भूली हुई शय ताक़-ए-हर-मंज़र में रक्खी थी। 
सितारे छत पे रक्खे थे, शिकन बिस्तर पे रक्खी थी। 

 Some forgotten thing was placed in niche of every view. 
Stars were on the roof, on bed there was a crease in view. 

पैहम मौज-ए-इमकानी में ।
अगला पाँव नए पानी में। 

Continuous wave of possibility I see. 
Vey next step in new water, to be. 

कोई गोशा ख़्वाब का सा ढूँढ ही लेते थे हम। 
शहर अपना शहर 'बानी' बे-अमाँ ऐसा न था। 

Some dreamy site, 'Baani' could always search. 
City wasn't without refuge , there was some perch. 

चलो कि जज़्बा-ए-इज़हार चीख़ में तो ढला। 
किसी तरह इसे आख़िर अदा तो होना था। 

This feeling was shaped in a cry after all. 
Some how, it was to be expressed after all.

वही इक मौसम-ए-सफ़्फ़ाक था अंदर भी बाहर भी। 
अजब साज़िश लहू की थी अजब फ़ित्ना हवा का था। 

Same cruel season was outside and within. 
Strange bloody plan, strange trouble to win. 

थी कोई पाँव में जंजीर, बच गए, वर्ना। 
रम-ए-हवा का तमाशा यहाँ रहा है बहुत। 

I was saved by some chain of my feet. 
Or else, flight of breeze was sure to unseat. 




  
 

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