तू इस आँचल का इक परचम बना लेती तो अच्छा था।... मजाज़ लखनवी.....
This scarf on your head looks lovely indeed.
Making flag out of it would be a better deed.
बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे।
बोल ज़ुबाँ अब तक तेरी है।
तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा।
बोल कि जाँ अब तक तेरी है।
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....
Speak that your lips are still free.
Your tongue still belongs to thee.
Your chiselled body is still your's.
Say that life is yet yours, for all to see.
ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है।
ख़ून फिर ख़ून है, टपकेगा तो जम जाएगा।..... साहिर लुधियानवी.....
Torture is but torture, when exceeds, remains not.
Blood is but blood, if it trickles,forms a clot.
तुमने लूटा है सदियों हमारा सुकूँ।
अब न हम पर चलेगा तुम्हारा जुनूँ।
चारागर दर्द-मन्दों के बनते हो क्यूँ ?
तुम नहीं चारागर, कोई माने मगर।
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता।
..... हबीब जालिब.....
For centuries you looted our peace, every trace.
Your lunacy can no longer
rule us, efface.
Why claim to be healer of grief struck race ?
You are no healer, though some may agree.
Neither I recognise nor do I agree.
ख़ामुशी अच्छी नहीं, इंकार होना चाहिए।
ये तमाशा अब सर-ए-बाज़ार होना चाहिए।..... जफ़र इक़बाल.....
Silaence is no good, should clearly say no.
In the middle of mart, now organise this show.
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