सब अपने-अपने चाहने वालों में खो गए।
..... कृष्ण बिहारी नूर....
Reciting the ghazal, I was left standing alone.
All were lost with well wishers of their own.
शायद हमारे हिज्र में लफ़्ज़ों का हाथ है।
इक लफ़्ज़--ए-ग़ैर ने तो पराया ही कर दिया।..... बशीर महताब.....
Probably in our parting, there is words - role.
Word rival, has set me aloof from my role.
ज़िन्दगी देख ले नज़र भर के।
हम हैं शामिल तेरे ख़राबों में।
......मनीश शुक्ला.....
O life! Upon me, have a complete look.
I am a part of your desolation book.
मेरी बेताबियों से घबरा कर।
कोई मुझ से ख़फ़ा न हो जाए।
..... अलीम अख़्तर.....
Restless 'n disturbed, finding me.
Will one not get angry with me?
तेरे पैमाने में गर्दिश नहीं बाक़ी साक़ी।
और तिरी बज़्म से अब कोई उठा चाहता है।...... परवीन शाकिर.....
Barmaid ! In winecup there's no whorl to perceive.
And your gathering, someone
is about to leave.
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