ये आरज़ू थी कि तेरी ही आरज़ू करते।
..... अख़्तर शीरानी.....
World grief had compelled me too.
Though I longed to long for you.
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने।
वो बच्चा अब भी ज़िन्दा है वो मँहगा खिलौना टूट गया।
..... महशर बदायूनी.....
For which the child wept 'n tears wiped by father.
That child is still alive, costly toy has broken father !
हुए मदफ़न-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वाले।
तमाचे मौज के खाते थे जो, बन कर गुहर निकले।
Those who swam under the stream, finally got drowned.
Those who bore slaps of waves, were as pearls crowned.
कैसे थे लोग जिन की ज़बानों में नूर था।
अब तो तमाम झूट है सच्चाइयों में भी।
..... जमील मलिक.....
What men were those who had virtuous tongue ?
Now that it's a total lie, even when truth is sung.
रात भर ख़्वाब में जलना भी इक बीमारी है।
इश्क़ की आग से बचने में समझदारी है।
..... अमित शर्मा मीत.....
It's a disease as you burn night long in dreams.
Saving self from fire of love is sensible, it seems.
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