Thursday, 23 June 2022

SAHIR.. GHAZAL.. AHAL-E-DIL AUR BHI HAIN, AHAL-E-VAFAA AUR BHI HAIN.....


अहल-ए-दिल ओर भी हैं, अहल-ए-वफ़ा और भी हैं। 
एक हम ही नहीं, दुनिया से ख़फ़ा और भी हैं। 

Other lovers of faith and heart also exist. 
Who find world less than worth also exist. 

सर सलामत है तो क्या संग-ए-मलामत की कमी ? 
जान बाक़ी है तो पैकान-ए-क़ज़ा और भी हैं। 

The censure will be here, if head is there. 
Fatal arrows don't cease, till breaths persist. 

क्या हुआ गर मिरे यारों की ज़ुबानें चुप हैं? 
मेरे शाहिद मेरे यारों के सिवा और भी हैं। 

What if silence prevails on lips of my chums ? 
Witnesses other than the friends also exist. 

हम पे ही ख़त्म नहीं मस्लक-ए-शोरीदा-सरी। 
चाक-ए-दिल और भी हैं, चाक-ए-क़बा और भी हैं। 

Being madly in love doesn't cease with me. 
Other shattered hearts and dresses also exist. 

मुंसिफ़-ए-शहर की वहदत पे न हर्फ़ आ जाए। 
लोग कहते हैं कि अर्बाब-ए-जफ़ा और भी हैं। 

Let none raise a finger on the city judge. 
People say, other disloyals also exist. 







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