Wednesday, 1 June 2022

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

उतनी देर समेटूँ सारे दुःख तेरे।
जितनी देर ऐ दोस्त बिखर नहीं जाता मैं।
..... नईम गिलानी.....

I 'll gather all your griefs till then.
O friend ! I am not scattered, till then.

चाहिए अच्छों को जितना चाहिए। 
ये अगर चाहें तो फिर क्या चाहिए ?
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....

Like the good as much as you like. 
If she likes, nothing else 'll you like.

कुछ वक़्त चाहते थे कि सोचें तिरे लिए।
तू ने वो वक़्त हम को ज़माने नहीं दिया।
..... मुनीर नियाज़ी.....

I had wanted some time to think about you.
O world ! That time wasn't given  by you.

एक दिन ग़रक़ न कर दे तुझे ये सैल-ए-वजूद।
देख हो जाए न पानी कहीं सर से ऊँचा। 
..... फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी.....

One day, this torrent of existence may drown you. 
Watch, that water level
 may not get over you. 

सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं है।
 जैसे कई अश'आर मुकम्मल नहीं होते। 
..... अहमद फ़राज़..... 

'Faraz' ! It's not that all the desires replete. 
Just as some  couplets remain incomplete



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