रात बादल इस तरह आए कि मैं तो डर गया।..... मुनीर नियाज़ी.....
Deep darkness kept crying in city street ways.
I feared, clouds crowded last night many ways.
ऐ शम'अ-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही दे।
मैं तेरे साथ साथ रहा घर नहीं गया।
..... अज़ीम हैदर सैयद.....
O parting lover's lamp ! You vouch for me.
I didn't know go home, remained with thee.
ये तेरी आरज़ू में बढ़ी वुस' अत-ए-नज़र।
दुनिया है सब मिरी निगह-ए-इंतिज़ार में।
..... अज़ीज़ लखनवी...
Expanse of vision, grew in your desire.
Under my watch, is the world, entire.
मेरा हर शे' र हक़ीक़त की है कि ज़िंदा तस्वीर।
मेरे अश'आर में है किस्सा नहीं लिक्खा मैंने।
..... अनवर जलालपुरी.....
Each of my couplets is living picture of facts.
In my couplets, I didn't pen tales and tacts.
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है।
कि ये आँसू बहाने का भी तो मौका नहीं देते।..... वसीम बरेलवी.....
For constant accidents, I have only this to complain.
These do not give a chance for the eyes to drain.
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