Friday, 3 June 2022

Rekhta today's 5 couplets

घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ? 
इक दिन अपना पीछा कर के देखा जाय।..... भारत भूषण पंत..... 

Leaving home, daily where do I go?
Let me follow someday, see so.

आप जाते तो हैं उस बज़्म में 'शिबली' लेकिन।
हाल-ए-दिल देखिए इज़हार न होने पाए।
..... शिबली नोमानी.....

O'Shiblee'! You are going in that meeting. 
See, state of heart, shows no feeling. 

अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है। 
दरख़्त नेकी बड़ी ख़ामुशी से करता है। 
..... अतुल अजनबी..... 

With strange sincerety,, simplicity it does. 
So silently the tree, so selflessly does. 

सुब्ह - सवेरा, दफ़्तर, बीवी, बच्चे, महफ़िल  नींदें, रात। 
यार किसी को मुश्किल भी होती है इस आसानी पर ! ..... अखिलेश तिवारी..... 

Morning, office, wife, children, gathering, sleeps, night. 
In such simple setup, how can one have trouble slight ? 

दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले।
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले।..... कैफ़ भोपाली..... 

World gave wounds and spots too. 
I got these gifts befriending you. 



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