Friday, 8 July 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL.. RET BHARII HAI IN AANKHON MEN AANSUU SE TUM DHO LENAA..

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना 
कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से लिपट के रो लेना 

उस के बा'द बहुत तन्हा हो जैसे जंगल का रस्ता 
जो भी तुम से प्यार से बोले साथ उसी के हो लेना 

कुछ तो रेत की प्यास बुझाओ जनम जनम की प्यासी है 
साहिल पर चलने से पहले अपने पाँव भिगो लेना 

मैंने दरिया से सीखी है पानी की ये पर्दा-दारी 
ऊपर ऊपर हँसते रहना गहराई में रो लेना 

रोते क्यूँ हो दिल वालों की क़िस्मत ऐसी होती है 
सारी रात यूँही जागोगे दिन निकले तो सो लेना 

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