Friday, 22 July 2022

रवि मौन... भक्त के वश में हैं भगवान

जिनकी महिमा गाते गाते, शत शारद थक जायँ।
रोते हिचकी ले लेकर वे, नैनन नीर बहायँ।
आज यशोदा क्रुद्ध हुई हैं, दंडित होंगे लाल। 
ऊखल के भी भाग्य जगे हैं, साथ बँधे गोपाल। 
प्रेम की डोरी है पहचान। 
भक्त के वश में हैं भगवान।। 

क्रोध नष्ट कर गया ज्ञान को, अनुनय विनय न मानी। 
अम्बरीष का वध करने की, जब ऋषिवर ने ठानी। 
चक्र सुदर्शन पीछे पीछे, दुर्वासा जी आगे। 
कहीं शरण जब मिल न सकी, तो सहसा ऋषिवर जागे।
भक्त कर देगा अभय प्रदान। 
भक्त के वश में हैं भगवान।।

मीरा हैं हरि में मगन, रहे छुटे घरबार। 
कुल की मर्यादा गई, राणा करें विचार। 
विष का प्याला देख कर, मीरा हुईं निहाल।
माखन मिश्री खा चुके, इसे चखें गोपाल।
कि हँस कर, कर गईं विष का पान।
भक्त के वश में हैं भगवान।। 

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