Sunday, 24 July 2022

शिव स्तुति.... रवि मौन

चंद्र बढ़ाए शोभा सर की, गंग जटा में  साजे।
नीलकण्ठ हैं भोले बाबा गले भुजंग बिराजे।
माथे पर त्रिनेत्र शोभित हैं कर में है तिरशूल।
भस्म लगा कर तन में श्री हर गए 
सती को भूल।
लगी समाधि सदाशिव की तो गणना 
काल बिसारी।
राघवेंद्र का ध्यान लगाकर बैठ गए
त्रिपुरारी।। 

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