अहद-ए-रफ़्ता को बहुत याद किया है मैंने
..... क़मर मोरादाबादी.....
After years, as I have passed through this way.
I have remembered past times gone a long way.
बे-नियाज़ी हद से गुज़री बंदा-परवर कब तलक।
हम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़रमाएँगे क्या?
U concern O considerate has gone a very long way.
I ' ll emote heart feelings and "what" 's all you' ll say?
गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के बाद हम।
कुछ दूर आदतन भी क़दम लड़खड़ाए हैं।
..... ख़ुमार बारहबंकवी.....
As I passed by the tavern after renunciation, hey!
Habitually my legs have trembled a long way.
तुम वो अच्छे कि अच्छे नहीं किसी के साथ।
मैं वो बुरा कि किसी का बुरा नहीं करता।
..... नातिक़ गुलावटी.....
You are so good as good with none.
I am so bad as bad with no one.
डूब जाएँ न फूल की नब्ज़ें !
ऐ ख़ुदा मौसमों की साँसें खोल।
..... रफ़ीक़ संदेलवी.....
Let not flower pulses dwindle away.
O God ! Let seasons breath in a way.
Rekhta today's 5 couplets
इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है।
हुस्न ख़ुद बे-ताब है जल्वा दिखाने के लिए।..... मजाज़ लखनवी.....
Maligned for nothing is pleasure of spectacle by love.
Beauty is keen to exhibit it's splendour over and above.
जो कहकशाँ सी नज़र आती हैं मिरी आँखें।
गुज़िश्ता शब के ये आँसू हैं जो सितारे हुए।..... प्रियंवदा इल्हान.....
That my eyes'appearance
is like milky way.
Are last night tears turned stars on the way.
देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र है।
अब क्या कहूँ जमाल-ए-रुख़-ए-फ़ित्नागर को मैं?..... पन्ना लाल नूर....
It's a crime if I look, otherwise unbeliever of His grace.
What can I say about the beauty of her magical face?
यूँ तो अपनों सा कुछ नहीं इस में।
फिर भी ग़ैरों से वो अलग सा है।
..... परकाश फ़िक्री .....
Though there's nothing in him like our own.
But he is different from the rival clone.
बिछड़ के तुझ से किसी दूसरे पे मरना है।
ये तजुर्बा भी इसी ज़िन्दगी में करना है।
..... असद बदायूनी.....
Parting with you I have to fall for someone else.
I 'll gather the experience in this life, none else.
Translated by Ravi Maun
Rekhta today's 5 couplets 30.7. 22
सुना है ग़ैर की महफ़िल में तुम न आओगे
कहो तो आज सजा लूँ ग़रीब - ख़ाने को
..... क़मर जलालवी.....
It's heard, rival' s meeting you 'll dodge.
If so, should I decorate my poor lodge?
ये बज़्म-ए-मय है याँ कोताह-दस्ती
में है महरूमी।
जो बढ़ कर ख़ुद उठा ले हाथ में
मीना उसी का है.. शाद अज़ीमाबादी..
It's a drink meeting, you are deprived if you don't reach.
One who goes ahead to hold, goblet is within his reach.
जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई।
बदन पुराना हुआ रूह भी है पुरानी हुई।
..... उबैदुल्लाह अलीम.....
What's this youth, just one night tale.
Body is stale, also the soul
is stale.
ये चिराग़ जैसे लम्हे कहीं रायगाँ न जाएँ।
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़लाब लाओ।..... राही मासूम रज़ा.....
These lamp like moments, should not go waste.
Have a few dreams, carve a revolution in haste!
कुछ बता तू ही नशेमन का पता।
मैं तो ऐ बाद-ए-सबा भूल गया।
..... मजरूह सुल्तानपुरी.....
You tell me where abouts of nest.
O breeze ! I 've forgotten it at best
Translated by Ravi Maun
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS
वादे का एतबार तो है वाक़ई मुझे।
ये और बात है कि हँसी आ गई मुझे।
..... नक़शब जारचवी.....
I believe fully in your promise all the while.
It is another matter that It makes me smile.
ये ज़िन्दगी जो पुकारे तो शक सा होता है।
कहीं अभी तो मुझे ख़ुद- कुशी नहीं करनी।..... स्वप्निल तिवारी.....
There's a little doubt when life gives a call.
Whether or not, the suicide I have to stall.
गुलशन में फ़क़त फूलों से नहीं, काँटों से भी ज़ीनत होती है।
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है।.....सबा अफ़गानी .....
Not only flowers but thorns too, contribute to garden 's grace.
In order to survive in this world, the grief has it's own place.
वही शागिर्द फिर हो जाते हैं उस्ताद ऐ 'जौहर'।
जो अपने जान-ओ-दिल से ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं।
.....लाला माधव लाल जौहर.....
Those disciples take over the mentor' s role.
Who serve their own mentors heart and sole.
इक मंज़र में इक धुँधले से अक्स में छुप कर रो लें।
हम किस ख़्वाब में आँखें मूँदें, और किस ख़्वाब में खोलें?
..... अंबरीन सलाहुद्दीन.....
In diffuse shadow of a scene, a crying act has silently been.
Closing eyes in which dream and to open in which dream?
Translated by Ravi Maun.
Rekhta today's 5 couplets
हर इक शिकस्त-ए-तमन्ना पे मुस्कुराते हैं।
वो क्या करें जो मुसलसल फ़रेब खाते हैं।
..... राज़ मोरादाबादी.....
Even with every defeat of desire, they smile.
What to do, who are deceived all the while.
याद के ख़ुशनुमा जज़ीरों में ।
दिल की आवारगी सी रहती है
..... माह तल'अत ज़ाहिदी .....
Within pretty memory islands.
Vagabond heart act stands.
ख़्वाब देखे थे टूट कर मैंने।
टूट कर ख़्वाब देखते हैं मुझे।... पिन्हा...
I had seen the dreams to full extent.
Dreams see me having been extinct.
अपनी तन्हाई को आबाद तो कर सकते हैं।
हम तुझे मिल न सकें याद तो कर सकते हैं।..... ताहिर अब्बास.....
I can extend company to my solitude.
I remember, even if meetings elude.
करता रहा न मिन्नतें कम की न कुछ दुआ।
हासिल हुआ न कुछ तो ख़ुदा बे-असर लगा।..... उज़ैर रहमान.....
I didn't lessen prayers and continued to plead.
With no gain, God looked effect-less indeed.
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS
सावन एक महीने 'क़ैसर' आँसू जीवन भर।
इन आँखों के आगे बादल बे-औक़ात लगा।
..... क़ैसर उल जाफ़री.....
'Qaisar' rains are for a month, tears last lifelong.
These eyes have shown cloud
where does it belong.
'बानी' ज़रा संभल के मोहब्बत का मोड़ काट।
इक हादसा भी ताक में होगा यहीं कहीं
..... राजेंदर मनचंदा बानी
'Baani' steer with care along the life curve.
Mishap must be waiting here for a swerve.
ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़।
ये ज़िन्दगी है कि अख़बार का तराशा है।
A little tea spilt and stained page wise.
Is it life or newspaper cutting to size?
चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है।
जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है।..... मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद.....
Stain of regret is on entire city's face.
State of heart on Delhi you can trace.
लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं कर गो है वही बहार।
दिल क्या उजड़ गया कि ज़माना उजड़ गया।..... अज़ीज़ लखनवी.....
There's no charm of spring though spring is still there.
When the heart is ruined, there are ruins every where.
Rekhta today's 5 couplets
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह।
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ।..... आरज़ू लखनवी.....
When I asked her about moon appearing in the sky.
With tress on face, she gave a jerk, let these fly.
आप की जानिब से आए तो उठा कर रख लिए।
पत्थरो से घर सजाने का कभी भी सोचा न था।..... फ़खीरा बातूल.....
Since these arrived from your side, I kept all these aside.
To decorate homes, with the stones, wasn't in mind ride.
मेरा भी इक बाप था, अच्छा सा इक बाप।
वो जिस जगह पहुँच के मरा था, वहीं हूँ मैं..... रईस फ़रोग़.....
Me too had a father and he was one good guy..
He reached here where I stand, for a final try.
चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ।
न तुम याद आओ न हम याद आएँ।
..... सरदार अंजुम.....
Our punishments, let us divide. Let no memory be on any side.
जिस ने बुनियाद गुलिस्ताँ की कभी डाली थी।
उस को गुलशन से गुज़रने नहीं देती दुनिया ।..... कँवल डिबाइवी.....
One who has laid foundation of this garden.
None even allows him to go in the garden.
Translated by Ravi Maun.
Rekhta today's 5 couplets
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए
आदमी मज़दूर है रस्ते बनाने के लिए
..... हफ़ीज़ जालंधरी.....
For coming and going times.
Man makes roads all the times
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद।
मुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग।..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
I am reminded of remaining desires of heart.
O God,! Don't ask about sins
on my part.
इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता।
कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।
..... मोग़ीसुद्दीन फ़रीदी.....
To find the face of man of this age , I fail
Since when am I opening folds of the veil.
प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर।
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर।..... साक़ी फ़ारूक़ी.....
Thirst increases seeing
the river in flow.
The waves are on move viewing this show.
एक इक बात में सच्चाई है उस की लेकिन।
अपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है।..... कफ़ील आज़ार अमरोहवी .....
Truth is ingrained in her each and every talk.
But to refute her promises or desire to balk!
Translated by Ravi Maun
Rekha today 'S 5 Couplets
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का।
जो पिछली रात से याद आ रहा है।
..... नासिर काज़मी.....
He was a friend of good old days.
Since last night, his memory stays.
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं।
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं।..... जिगर मुरादाबादी......
Come O friend ! Without you I am worried in a way.
As if something is missing in everything in a way.
इक परिंदा अभी उड़ान में है।
तीर हर शख़्स की कमान में है ।
..... अमीर क़ज़लबाश...
One bird is flying, in flow.
An arrow is on each bow.
क्यूँ पशेमाँ हो अगर वादा वफ़ा हो न सका?
कहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं?
..... इबरत मछलीशहरी.....
Why do you repent for promise unkept?
Are the promises meant to be kept?
शम'अ माशूक़ों को सिखलाती है तर्ज़-ए-आशिक़ी।
जल के परवाने से पहले बुझ के परवाने के बाद..... जलील मानिकपुरी. ....
To those in love, the candle teaches love style.
Burning before moth, aflame after, for a while.
Translated by Ravi Maun
मुँह फेर लिया सब ने बीमार को जब देखा
देखा नहीं जाता वो तुम जिस की तरफ़ देखो
तुम थे और हम थे चाँद निकला था
हाए वो रात याद आती है
इस तरह सितम वो कर रहे हैं
जैसे मेरा ख़ुदा नहीं है
वो बहुत कम किसी ने देखा है
मुझ को जो कुछ यहाँ नज़र आया
कोई समझाए आ के नासेह को
सुन सके कौन इस क़दर बातें
मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ
ये माना हम जिए लेकिन जिए क्यूँ
दिल ने ये कह के कहीं छोड़ा साथ
हम को कुछ काम यहाँ करना है
पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे
रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या
दिल नहीं जब तो ख़ाक है दुनिया
असल जो चीज़ थी वही न रही
हमेशा से मिज़ाज-ए-हुस्न में दिक़्क़त-पसंदी है
मिरी दुश्वारियाँ आसान होना सख़्त मुश्किल है
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS 8.8.22
किस ने वफ़ा के नाम पे धोका दिया मुझे?
किस से कहूँ कि मेरा गुनहगार कौन है?
..... नजीम अहमद.....
Who has cheated me in the name of gratitude.
Who is my culprit, who has such an attitude?
वो जाता रहा और मैं कुछ बोल न पाया।
चिड़ियों ने मगर शोर सा दीवार पे खींचा।
..... अहमद फ़ाक़िह.....
He was leaving, I said not a word, kept poise
The sparrows etched on the wall, some noise.
खींच लाई है मोहब्बत तिरे दर पर मुझ को।
इतनी आसानी से वर्ना किसे हासिल हुआ मैं?..... इर्शाद ख़ान सिकंदर.....
It's love that's dragged me to your gate.
I am not available so easily
O mate!
कितना मुश्किल है ख़ुद-ब - ख़ुद रोना।
बे-ख़ुदी से रिहा करे कोई।
..... असर अकबराबादी.....
How hard it is to cry on your own?
From this ecstasy, let someone disown.
रात भी चाँद भी समुंदर भी।
मिल गए कितने ग़म-गुसार मुझे !
..... मजीद अख़्तर.....
The night, moon and sea to save.
How many comforters did I have?
Translated by Ravi Maun.
REKHTA.. TODAY'S 5 COUPLETS 9.8.22.
उम्र भर रहना है ता'बीर से गर दूर तुम्हें।
फिर मिरे ख़्वाब में आने की ज़रूरत क्या है ?..... नदीम गुल्लानी.....
If you want no interpretation of any dream.
Why do you desire to come in my dream?
तोड़ा है दम अभी अभी बीमार-ए-हिज्र ने।
आए मगर हुज़ूर को ताख़ीर हो गई।
..... जगत मोहन लाल रवाँ.....
Just now, sick of separation breathed his last.
Well you came, but should
have made it fast.
हुई थी इक ख़ता सरज़द सो उस को मुद्दतें गुज़रीं।
मगर अब तक मिरे दिल से पशेमानी
नहीं जाती।
..... जगदीश सहाय सक्सेना.....
I had committed a mistake but that was long long ago.
How is it that the regret, from my heart doesn't go.
मैं भी कुछ ख़ुश नहीं वफ़ा कर के।
तुम ने अच्छा किया निबाह न की।
..... मोमिन ख़ान मोमिन.....
By keeping faith I'm not happy as well.
You did as well, by not carrying on, swell.
अब मुझ को एहतिमाम से कीजे सुपुर्द-ए-ख़ाक।
उकता चुका हूँ जिस्म का मलबा उठा के मैं।..... दिलावर अली आज़ार.....
Please hand me over to earth with care, final dues.
I have carried this refuse since long, now I refuse.
Translated by Ravi Maun.
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS.. 10.8.22
पूछ रहे हैं मुझ से पेड़ों के सौदागर।
आब-ओ-हवा कैसे ज़हरीली हो जाती है?
..... आलम ख़ुर्शीद.....
The sellers of tree, are enquiring me.
How does the climate venomous be?
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे।
कहाँ गया मिरा बचपन ख़राब कर के मुझे?..... मुज़्तर ख़ैराबादी.....
Making me a captive of youth fist.
Where is my childhood spoiling the list?
यही तश्वीह शब-ओ-रोज़ है बंगाले में।
लखनऊ फिर कभी दिखला दे मुक़द्दर मेरा।
..... वाजिद अली शाह अख़्तर.....
Only worry is for me in Bengal day and night.
How fate can bring Lucknow back in sight?
ले आएगा इक रोज़ गुल-ओ-बर्ग भी 'सरबत'।
बाराँ का मुसलसल ख़स-ओ-ख़ाशाक
पे होना।..... सरवत हुसैन.....
It will bring leaves and flowers one day.
Persistent rain drops on the twigs 'n hay.
कुछ ख़बर है तुझे ऐ चैन से सोने वाले?
रात भर कौन तिरी याद में बनाया बेदार रहा?..... हिज्र नाज़िम अली ख़ान.....
Are you aware O the one, sleeping in peace?
Night long who was awake in your memories?
Translated by Ravi Maun.
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS.. 14.8.22
कौन तहलील हुआ है मुझ में।
मुंतशिर क्यूँ हैं अनासिर मेरे?
...... विकास शर्मा राज़.....
Who in me, is lawfully reversed.
Why are my elements dispersed?
हौसला है तो सफ़ीनों के अलम लहराओ। बहते दरिया तो चलेंगे इसी रफ़्तार के साथ।..... शहज़ाद अहमद.....
Flutter flags of boats, if you have the creed.
Flowing rivers will run with
their own speed.
ऐसी दुनिया में कैसे गुज़ारा करें, तुम ही कह दो कि कब तक गवारा करें?
रात मुझ से मिरी बेबसी ने कहा, बेबसी के लिए एक ताज़ा ग़ज़ल।
..... इरफ़ान सत्तार.....
In this world how to survive, tell me how long to revive?
My helplessness told last night, a fresh ghazal for the plight !
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में।
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता?..... निदा फ़ाज़ली.....
In this world, his is not the only face.
So far, why not does from heart efface?
हम को यारों ने याद भी न रखा।
'जौन' यारों के यार थे हम तो।
..... जौन एलिया.....
My friends didn't even recall. 'John' I was their's after all.
Translated by Ravi Maun.
REKHTA TODAY'S 5+1 COUPLETS ..16.8.22
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से।
कल उन का ज़माना था, आज अपना ज़माना है।..... जिगर मुरादाबादी.....
Either she was angry with me, or me angry with her.
Today it is my time, as yesterday belonged to her.
सड़क पे बैठ गए देखते हुए दुनिया।
और ऐसे तर्क हुई एक ख़ुद-कुशी हम से।
..... अहमद अता.....
I settled on the road and looked the world around.
Thus I could renounce, an act so suicide bound.
सियाह - बख़्ती में कब कोई किसी का साथ देता है।
कि तारीकी में साया जुदा रहता है इंसाँ से।..... इमाम बख़्श नासिख़.....
Who does go along, when the fortune is dark.
Even shadow leaves man, when it's stark dark.
शम'अ - ए-ख़ेमा कोई ज़ंजीर नहीं हम-सफ़राँ।
जिस को जाना है, चला जाए इजाज़त कैसी?..... इरफ़ान सिद्दीक़ी.....
O team mate! The lamp of tent is no shackle or implant.
You need not seek permission, can leave when you want.
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारो सोचो तो।
शबनम का क़तरा भी जिन को दरिया लगता है!..... क़ैसर-उल - जाफ़री.....
Just think, since how long were thirsty these men.
Who thought that the dew drop was a river, amen !
हम तो समझे थे कि चारों दर मुक़फ़्फ़ल हो चुके।
क्या हाल होगा ख़बर थी कोई दरवाज़ा खुला रह जाएगा।
..... नजीब अहमद.....
I am thought that all four doors were locked.
Who knew, one door was open and gawked.
Translated by Ravi Maun.
.REKHTA TODAY'S 5+1 COUPLETS.. 17.8.22
तमाम उम्र मिरा मुझ से इख़्तिलाफ़ रहा।
गिला न कर जो कभी तेरा हम-नवा न रहा।..... लुत्फ़ - उर रहमान.....
I have been opposing the self life long.
Don't ire if I wasn't your friend for long.
दिल अगर दिल है तो वाबस्त-ए-मोहब्बत होगा।
निकहत-ए-गुल भी कभी गुल से जुदा होती है?..... अज्ञात.....
If it's a heart, it must be in touch with the lover.
Is the fragrance of flower ever away from flower?
किस किस की ज़ुबाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिर।
किस किस की तबाही में तिरा हाथ नहीं है।..... एहसान दानिश.....
How many tongues can I hold for you ?
Whose devastation by you isn't in queue?
क़दम रक्खा जो रह-ए-इश्क़ में हम ने तो ये देखा।
जहाँ में जितने रहज़न हैं, इसी मंज़िल में रहते हैं।..... जलील मानिकपुरी.....
I saw it by stepping on the love track.
At this site are all world robbers in pack.
मह्व-ए-दीद-ए-चमन-ए-शौक़ है फिर दीद-ए-शौक़।
गुल-ए-शादाब वही बुलबुल-ए-शैदा भी वही।..... ग़ुलामी भीक नैरंग.....
One absorbed in seeing garden of love is but a love look or so.
It is the pleasant flower and it's also the nightingale in woe.
आँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहीं।
क्या पूछते हो हाल शब-ए-इंतिज़ार का?
..... लाला टीका राम.....
Till morn' my gaze was affixed with the gate.
What to ask about the waiting night O mate?
Translated by Ravi Maun.
REKHTA TODAY'S 5 +1COUPLETS.. 18.8.22
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम।
उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा।
..... अहमद नदीम क़ासमी.....
The artist who has crafted you.
For centuries, must have drafted you.
ज़रूर तेरी गली से गुज़र गया होगा।
कि आज बाद-ए-सबा बे-क़रार आई है।
..... कौसर नियाज़ी.....
It must have gone through your lane.
Today the breeze is uneasy, insane.
जिन आँखों से मुझे तुम देखते हो।
मैं उन आँखों से दुनिया देखता हूं।
..... रसा चुग़ताई.....
The eyes with which you see me.
Those eyes see the world for me.
हम तिरे ख़्वाबों की जन्नत से निकल कर आ गए।
देख तेरा क़स्र-ए-आलीशान ख़ाली कर दिया।..... ऐतबार साजिद.....
I have come out of the heaven of your dreams.
Your grand castle is vacated,
it seems.
तेरी मजबूरियां दुरुस्त मगर।
तूने वा'दा किया था, याद तो कर।
..... नासिर काज़मी.....
Your compulsions are true indeed.
But remember, your promise was a deed.
रंगों से न रखिए किसी सूरत की तवक़्क़ो। वो ख़ून का क़तरा है जो शहकार बनेगा।
..... अली मुतहर अश' अर.....
Do not have any hope from the colours, they shirk.
It is a drop of blood that' ll be the master's work.
Translated by Ravi Maun.
REKHTA TODAY'S 5 +2 COUPLETS..19.8.22
हम आह भी है करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम।
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।
..... अकबर इलाहाबादी.....
Even for a sigh, I get a bad name.
He commits murder, yet no fame.
सौदा-ए-इश्क़ और है वहशत कुछ और शय।
मजनूँ का कोई दोस्त फ़साना-निगार था।
..... बेख़ूद देहलवी.....
Bargain in love is something different than barbaric note.
Someone of Majnun's friend was a story-teller to quote.
तमाम रात नहाया था शहर पानी में।
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे।
..... जमाल अहसानी.....
Night long, the city was bathed in rain.
Washable colours just left no stain.
वैसे तो इक आँसू भी बहा कर मुझे ले जाए।
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता।
..... वसीम बरेलवी.....
Though even a tear can wash me away.
Or else, a storm can't shake me on way.
दोस्ती किस न थी किस से मुझे प्यार न था।
जब बुरे वक़्त पे देखा तो कोई यार न था।
..... मीर हसन.....
Who wasn't my friend, who wasn't in love.
When time was bad, no chum was in trove.
'मीर' अमदन भी कोई मरता है?
जान है तो जहान है प्यारे।
..... मीर तक़ी मीर.....
'Meer'! Does anyone intentionally die?
With life, you have a worldly tie.
कितने दिन में आए हो साथी, मेरे सोते भाग जगाने?
मुझ से अलग इस एक बरस में तुम भी पे न बीती क्या क्या जाने?
..... जाँ निसार अख़्तर.....
After how many days have you mate, come to awaken sleeping fate.
In one year with us separate, what all have you gone through O mate?
Translated by Ravi Maun.
REKHTA TODAY'S 5 +2 COUPLETS
जहाँ में मंज़िल-ए-मक़सूद ढूँढने वाले।
इस कायनात की तस्वीर ही ख़याली है।
..... शहज़ाद अहमद.....
You who are searching the goal in universe.
Imaginary is the picture of this universe.
चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है।
जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है।..... मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद.....
There's dust of regret of city
as a whole.
State of heart is akin to Delhi as a whole.
सिया है ज़ख़्म-ए-बुलबुल गुल ने ख़ार और बू-ए-गुलशन से।
सूई तागा हमारे चाक-ए-दिल का है
कहाँ देखें?..... वली उज़लत.....
Flower has stitched with thorn and garden fragrance, wound of nightingale.
Where's that needle and the thread to tether our shattered heart's trail?
माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है।
आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है।..... अंजुम सलीमी.....
Neither there are mother's blessings nor father's kind shade.
Today I have celebrated my birthday in my own company grade.
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़लाक समझते हो 'फ़राज़'।
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
..... अहमद फ़राज़.....
O 'Faraz'! You think formality and sincerity are same.
Each one who shakes hand
isn't friend in the game.
मेरा इश्क़ तो ख़ैर मिरी महरूमी का परवर्दा है।
क्या मालूम था वो भी देगा मेरा इतना
टूट के साथ? ..... अज़हर फ़राग़.....
Well, my love is fostered by my misfortune.
Who knew that he 'd be with me to this tune?
जब सा' त प्रकट होने की वाँ आई मुकुट धरैया की।
अब आगे बात जन्म की है जय बोलो किशन कन्हैया की।
..... नज़ीर अकबराबादी.....
When the right time came for the crown bearer to be there.
Hail Kishan Kanhaiya,for ahead is story of His birth there.
यारो सुनो ! यह दधि के लुटैया का बालपन
और मधुपुरी नगर के बसैया का बालपन॥
मोहन सरूप निरत करैया का बालपन
बन-बन के ग्वाल गोएँ चरैया का बालपन॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥1॥
ज़ाहिर में सुत वह नन्द जशोदा के आप थे
वर्ना वह आप माई थे और आप बाप थे॥
पर्दे में बालपन के यह उनके मिलाप थे
जोती सरूप कहिये जिन्हें सो वह आप थे॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन।
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥2॥
उनको तो बालपन से न था काम कुछ ज़रा
संसार की जो रीति थी उसको रखा बजा॥
मालिक थे वह तो आपी उन्हें बालपन से क्या
वां बालपन, जवानी, बुढ़ापा, सब एक था॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥3॥
विज्ञापन
मालिक जो होवे उसको सभी ठाठ या सरे
मालिक जो होवे उसको सभी ठाठ या सरे
चाहे वह नंगे पांव फिरे या मुकुट धरे॥
सब रूप हैं उसी के वह जो चाहे सो करे
चाहे जवां हो, चाहे लड़कपन से मन हरे॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥4॥
बाले हो व्रज राज जो दुनिया में आ गए
लीला के लाख रंग तमाशे दिखा गए॥
इस बालपन के रूप में कितनों को भा गए
इक यह भी लहर थी कि जहां को जता गए॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥5॥
यूं बालपन तो होता है हर तिफ़्ल[1] का भला
पर उनके बालपन में तो कुछ और भेद था॥
इस भेद की भला जी, किसी को ख़बर है क्या
क्या जाने अपने खेलने आये थे क्या कला॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥6॥
वह बालपन में देखते जीधर नज़र उठा
राधारमन तो यारों अ़जब जायेगौर[2] थे
लड़कों में वह कहां है, जो कुछ उनमें तौर थे॥
आप ही वह प्रभु नाथ थे आप ही वह दौर थे
उनके तो बालपन ही में तेवर कुछ और थे॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन।
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥7॥
वह बालपन में देखते जीधर नज़र उठा
पत्थर भी एक बार तो बन जाता मोम सा॥
उस रूप को ज्ञानी कोई देखता जो आ
दंडवत ही वह करता था माथा झुका झुका॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥8॥
पर्दा न बालपन का वह करते अगर ज़रा
क्या ताब थी जो कोई नज़र भर के देखता॥
झाड़ और पहाड़ देते सभी अपना सर झुका
पर कौन जानता था जो कुछ उनका भेद था॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥9॥
मोहन, मदन, गोपाल, हरी बंस, मन हरन
मोहन, मदन, गोपाल, हरी बंस, मन हरन
बलिहारी उनके नाम पै मेरा यह तन बदन॥
गिरधारी, नन्दलाल, हरि नाथ, गोवरधन
लाखों किये बनाव, हज़ारों किये जतन॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥10॥
पैदा तो मधु पुरी में हुए श्याम जी मुरार
गोकुल में आके नन्छ के घर में लिया क़रार[3]॥
नन्द उनको देख होवे था जी जान से निसार[4]।
माई जशोदा पीती थी पानी को बार बार॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥11॥
जब तक कि दूध पीते रहे ग्वाल व्रज राज
सबके गले के कठुले थे और सबके सर के ताज॥
सुन्दर जो नारियां थीं वह करतीं थी कामो-काज
रसिया का उन दिनों तो अजब रस का था मिज़ाज॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥12॥
बदशक्ल से तो रोके सदा दूर हटते थे
और खु़बरू को देखके हंस-हंस चिमटते थे॥
जिन नारियों से उनके ग़मो-दर्द बंटते थे
उनके तो दौड़-दौड़ गले से लिपटते थे॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥13॥
अब घुटनियों का उनके मैं चलना बयां करूं
अब घुटनियों का उनके मैं चलना बयां करूं
या मीठी बातें मुंह से निकलना बयां करूं॥
या बालकों की तरह से पलना बयां करूं
या गोदियों में उनका मचलना बयां करूं॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥14॥
पाटी पकड़ के चलने लगे जब मदन गोपाल
धरती तमाम हो गई एक आन में निहाल[5]॥
बासुक चरन छूने को चले छोड़ कर पताल
आकास पर भी धूम मची देख उनकी चाल॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥15॥
थी उनकी चाल की तो अ़जब यारों चाल-ढाल
पांवों में घुंघरू बाजते, सर पर झंडूले बाल॥
चलते ठुमक-ठुमक के जो वह डगमगाती चाल
थांबें कभी जसोदा कभी नन्द लें संभाल॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥16॥
पहने झगा गले में जो वह दखिनी चीर का
गहने में भर रहा गोया लड़का अमीर का॥
जाता था होश देख के शाहो वज़ीर का
मैं किस तरह कहूं इसे छोरा अहीर का॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥17॥
जब पांवों चलने लागे बिहारी न किशोर
जब पांवों चलने लागे बिहारी न किशोर
माखन उचक्के ठहरे, मलाई दही के चोर॥
मुंह हाथ दूध से भरे कपड़े भी शोर-बोर
डाला तमाम ब्रज की गलियों में अपना शोर॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥18॥
करने लगे यह धूम, जो गिरधारी नन्द लाल
इक आप और दूसरे साथ उनके ग्वाल बाल॥
माखन दही चुराने लगे सबके देख भाल
दी अपनी दधि की चोरी की घर घर में धूम डाल॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥19॥
थे घर जो ग्वालिनों के लगे घर से जा-बजा
जिस घर को ख़ाली देखा उसी घर में जा फिरा॥
माखन मलाई, दूध, जो पाया सो खा लिया
कुछ खाया, कुछ ख़राब किया, कुछ गिरा दिया॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥20॥
कोठी में होवे फिर तो उसी को ढंढोरना
गोली में हो तो उसमें भी जा मुंह को बोरना॥
ऊंचा हो तो भी कांधे पै चढ़ कर न छोड़ना।
पहुंचे न हाथ तो उसे मुरली से फोड़ना॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥21॥
ग़र चोरी करते आ गई ग्वालिन कोई वहां
ग़र चोरी करते आ गई ग्वालिन कोई वहां
और उसने आ पकड़ लिया तो उससे बोले हां॥
मैं तो तेरे दही की उड़ाता था मक्खियां
खाता नहीं मैं उसकी निकाले था चूंटियां॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥22॥
गर मारने को हाथ उठाती कोई ज़रा
तो उसकी अंगिया फाड़ते घूसे लगा लगा॥
चिल्लाते गाली देते, मचल जाते जा बजा
हर तरह वां से भाग निकलते उड़ा छुड़ा॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥23॥
गुस्से में कोई हाथ पकड़ती जो आन कर
तो उसको वह सरूप दिखाते थे मुरलीधर॥
जो आपी लाके धरती वह माखन कटोरी भर
गुस्सा वह उनका आन में जाता वहीं उतर॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥24॥
उनको तो देख ग्वालिनें जी जान पाती थीं
उनको तो देख ग्वालिनें जी जान पाती थीं
घर में इसी बहाने से उनको बुलाती थीं॥
ज़ाहिर में उनके हाथ से वह गुल मचाती थीं
पर्दे में सब वह किशन के बलिहारी जाती थीं॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥25॥
कहतीं थीं दिल में दूध जो अब हम छिपाएंगे
श्रीकृष्ण इसी बहाने हमें मुंह दिखाएंगे॥
और जो हमारे घर में यह माखन न पाएंगे
तो उनको क्या ग़रज है यह काहे को आएंगे॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥26॥
सब मिल जशोदा पास यह कहती थी आके बीर
अब तो तुम्हारा कान्ह हुआ है बड़ा शरीर॥
देता है हमको गालियां फिर फाड़ता है चीर
छोड़े दही न दूध, न माखन, मही न खीर॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥27॥
माता जशोदा उनकी बहुत करती मिनतियां
माता जशोदा उनकी बहुत करती मिनतियां
और कान्ह को डराती उठा बन की सांटियां॥
जब कान्ह जी जशोदा से करते यही बयां
तुम सच न जानो माता, यह सारी हैं झूटियां॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥28॥
माता कभी यह मेरी छुंगलिया छुपाती हैं
जाता हूं राह में तो मुझे छेड़ जाती हैं॥
आप ही मुझे रुठाती हैं आपी मनाती हैं
मारो इन्हें यह मुझको बहुत सा सताती हैं॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥29॥
माता कभी यह मुझको पकड़ कर ले जाती हैं
गाने में अपने सथ मुझे भी गंवाती हैं॥
सब नाचती हैं आप मुझे भी नचाती हैं
आप ही तुम्हारे पास यह फ़रयादी[6] आती हैं॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥30॥
मुंह खोल तीन लोक का आलम दिखा दिया...
एक रोज मुंह में कान्हा ने माखन झुका दिया।
पूछा जशोदा ने तो वहीं मुंह बना दिया॥
मुंह खोल तीन लोक का आलम दिखा दिया
एक आन में दिखा दिया और फिर भुला दिया॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥31॥
थे कान्ह जी तो नंद जशोदा के घर के माह
मोहन नवल किशोर की थी सबके दिल में चाह॥
उनको जो देखता था सो कहता था वाह-वाह
ऐसा तो बालपन न हुआ है किसी का आह॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥32॥
सब मिलके यारो किशन मुरारी की बोलो जै
गोबिन्द छैल कुंज बिहारी की बोलो जै॥
दधिचोर गोपी नाथ, बिहारी की बोलो जै
तुम भी ”नज़ीर“ किशन बिहारी की बोलो जै॥
ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपन
क्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥33॥
शब्दार्थ
तिफ़्ल-बच्चा
जायेगौर-विचार करने योग्य
निसार- न्यौछावर
निहाल- समृद्ध
फ़रयादी- गुहार लेकर
साभार: कविताकोश
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