मिले भी देर हुई और जी उदास भी है।
..... अज़ीम मुर्तज़ा.....
If possible, come on towards me.
I am sad 'n since long no see.
खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा।
मेरे हाथों में दस्तक भर गई है।
..... स्वप्निल तिवारी.....
I always find open, the doors. From my hands, knock pours.
गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़।
काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं।..... जिगर मोरादाबादी.....
I worship garden, not only like flowers.
I also get along the thorny bowers.
दूर तक ये रास्ते ख़ामोश हैं।
दूर तक हम ख़ुद को सुनते जाएँगे।
..... तनवीर अंजुम.....
These paths are silent for long.
I shall listen to myself for long.
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