Monday, 22 August 2022

भक्त के वश में हैं भगवान..... रवि मौन

क्रुद्ध हो गए वृद्ध जटायु, किए प्रबल आघात।
सुन सीता का आर्तनाद, रक्षा करिए हे तात।
चोंच और पंजों से, क्षत-विक्षत कर दिया शरीर।
पल पल के बढ़ते विलंब से, रावण हुआ अधीर। 
पंख पर किया खड़ग संधान। 
दाह करते हैं कृपा निधान। 

सरयू तट पर जुटे, अयोध्या के सब वासी।
चलें राम के साथ, बनें साकेत निवासी। 
दूर खड़े हनुमान, प्रेम से तकें तमाशा ।
देह त्याग क्यों, राम भजन की जब तक आशा ?
कथा में अइहैं कृपा निधान। 
भक्त के वश में हैं भगवान। 

बाल-कृष्ण की लीला, जिन ने बड़े प्रेम से गाईं।
सूरदास जन्मे थे, लेकिन मन की आँखें पाईं। 
रूप रंग का अद्भुत विवरण, करते हैं कविराज। 
शिख से नख तक वर्णन करते, प्रभु का अनुपम साज। 
अंध को रंगों का क्या ज्ञान ?
भक्त के वश में हैं भगवान। 

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