Saturday, 27 August 2022

RAOOF RAHEEM.. GHAZAL.. JIINE KAA KUCHH USOOL NA MARNE KAA DHANG HAI...

जीने का कुछ उसूल न मरने का ढंग है 


हर छोटी-छोटी बात पे आपस में जंग है 

जब से सुना है फ़िल्म दी डे आफ़्टर का हाल 
खम्बों से हम ने बाँध के रखा पलंग है 

टी वी पे गाय भैंस पुकारेंगे रोज़ ही 
उर्दू ज़बाँ से इस में ज़ियादा तरंग है 

आया है कैसा दौर सियासत में दोस्तो 
राई भी ख़ुश नहीं है रेआया भी तंग है 

आप अपने हाथ उजाड़ न लें ये जुनूँ-परस्त 
शीशे के घर में रहते हुए मश्क़-ए-संग है 

हूरों पे है निगाह गो मरक़द में पाँव हैं 
वाइ'ज़ अख़ीर-ए-उम्र में क्या तेरा ढंग है 


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