Thursday, 18 August 2022

IQBAL NAZEEM.. GHAZAL..

बस हो चुका हुज़ूर ये पर्दे हटाइए 


सब मुंतज़िर हैं सामने तशरीफ़ लाइए 

आवाज़ में तो आप की बे-शक ख़ुलूस है 
लेकिन ज़रा नक़ाब तो रुख़ से हटाइए 

हम मानते हैं आप बड़े ग़म-गुसार हैं 
लेकिन ये आस्तीन में क्या है दिखाइए 
अब क़ाफ़िले के लोग भी मंज़िल-शनास हैं 
आख़िर कहाँ का क़स्द है खुल कर बताइए 

बादा-कशों की अस्ल जगह मय-कदे में है 
किस ने कहा कि आप भी मिम्बर पे आइए 

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