चोरी तो है तेरा इक बहाना, मुझ पे भी आज़मा ले कन्हैया !
... तुम को राधा का दिल था चुराना....
कौन खाएगा इतना पुराना, यूँ ही ग्वालन कोई मल गई थी।
घर में माखन का है ही खज़ाना , क्यूँ कहीं से चुरा ले कन्हैया?
... तुम को राधा का दिल था चुराना ...
मटकी को फोड़ना है बहाना, दिल तो राधा का है ही सलामत।
जिस पे साधा है तूने निशाना, उस को अपना बना ले कन्हैया !
.... तुम को राधा का दिल था चुराना.....
आज सब का है रोना रुलाना, माँ यशोदा से कहती हैं ग्वालन।
हम को तो था नदी में नहाना, कपड़े लेकर चढ़ा ये कन्हैया !
.... तुम को राधा का दिल था चुराना....
तुम को आता है बंसी बजाना, धुन निकलती है राधा को तक कर।
नाचना और सभी को नचाना, ऐसी धुन भी बजा ले कन्हैया !
.... तुम को राधा का दिल था चुराना....
ऊधौ तुम ज्ञान का हो ख़ज़ाना , मेरी चिंता में डूबी हैं सखियाँ ।
आज चिंतन उन्हें है कराना, उन को जा कर बचा ले रे भैया।
.... तुम को राधा का दिल था चुराना....
Very nice
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