हौसले मुश्किलों में पलते हैं
~ महफूजुर्रहमान आदिल
Don't grieve over altering time
Courage breeds in difficult time
वक़्त किस तेज़ी से गुज़रा रोज़-मर्रा में 'मुनीर'
आज कल होता गया और दिन हवा होते गए
~ मुनीर नियाज़ी
O Muneer ! How fast in daily chores, did time pass?
Today became tomorrow and days lost their class.
वक़्त करता है परवरिश बरसों
हादिसा एक दम नहीं होता
~ क़ाबिल अजमेरी
Over years, it's bred in the time. Accidents do not suddenly prime.
उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें
वक़्त हम से रूठ जाने की अदा तक ले गया
~ फ़सीह अकमल
Enmities don't allow me to meet life long.
Time snatched style to be angry since long.
तुम चलो इस के साथ या न चलो
पाँव रुकते नहीं ज़माने के
~ अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
You may or may not go with it.
World will be on move, won't quit.
Translated by Ravi Maun.
ख़ुमार बाराबंकवी की ग़ज़ल:
हम उन्हें वो हमें भुला बैठे
दो गुनहगार ज़हर खा बैठे
हाल-ए-ग़म कह के ग़म बढ़ा बैठे
तीर मारे थे तीर खा बैठे
आँधियो जाओ अब करो आराम
हम ख़ुद अपना दिया बुझा बैठे
जी तो हल्का हुआ मगर यारो
रो के हम लुत्फ़-ए-ग़म गँवा बैठे
बे-सहारों का हौसला ही क्या
घर में घबराए दर पे आ बैठे
जब से बिछड़े वो मुस्कुराए न हम
सब ने छेड़ा तो लब हिला बैठे
हम रहे मुब्तला-ए-दैर-ओ-हरम
वो दबे पाँव दिल में आ बैठे
उठ के इक बेवफ़ा ने दे दी जान
रह गए सारे बा-वफ़ा बैठे
हश्र का दिन अभी है दूर 'ख़ुमार'
आप क्यूँ ज़ाहिदों में जा बैठे
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं। सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं।..... हैरत अलाहाबादी.....
No man is aware about time of his death
He may last a hundred years or next breath.
सब कपनी ज़ात में इक अंजुमन के मुजरिम हैं।
किसी वजूद में कुछ फ़र्द जैसा है ही नहीं।..... अर्श सुल्तानपुरी.....
A culprit within his gathering is everyone.
There's nothing like an individual in anyone.
आँखें ख़ुदा ने बख़्शी हैं रोने के वास्ते।
दो कश्तियाँ मिली हैं डुबोने के वास्ते।
..... मुनीर शिकोहाबादी.....
Eyes have been given by the God to weep.
Two ships are meant to drown you deep.
आज फिर मुझ से हा दरिया ने।
क्या इरादा है बहा ले जाऊँ ?
..... मोहम्मद अल्वी.....
बिछड़ने का इरादा है तो मुझसे मशवरा कर ले।
मोहब्बत में कोई भी फैसला ज़ाती नहीं होता।..... अफ़ज़ल ख़ान.....
था इरादा तिरी फ़रियाद करें हाकिम से।
वो भी ऐ शोख़ तिरा चाहने वाला निकला।..... नज़ीर अकबराबादी.....
बहुत नज़दीक आती जा रही हो ।
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या ?
.... . जौन एलिया.....
You are coming far too near. Have you decided to part O dear?
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