Monday, 5 September 2022

DUSHYANT KUMAAR....... COUPLETS

तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं 
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं 

There's no earth under your feet. 
You don't believe it, that's a feat. 

लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो 
शरीफ़ लोग उठे दूर जा के बैठ गए 

When the bloodied scenes were talked about. 
The gentlemen got up, sat at distance and out. 

नज़र-नवाज़ नज़ारा बदल न जाए कहीं 
ज़रा सी बात है मुँह से निकल न जाए कहीं 

Scene pleasant to eyes may somehow not change. 
It's a small talk, may not get out of mouth range. 

ये सोच कर कि दरख़्तों में छाँव होती है 
यहाँ बबूल के साए में आ के बैठ गए 

Thinking that the trees
 possess some shade. 
I came here to sit under
 the Acacia tree shade

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है 
माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है 

He isn't a man but a statement full of drama. . 
On his forehead is a deep scar out of trauma. 

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