Friday, 23 September 2022

REKHTA... TODAY's 5 +8 COUPLETS

साहिल तमाम अश्क-ए-नदामत से अट गया।
दरिया से कोई शख़्स तो प्यासा पलट गया।..... शकेब जलाली.....

The tears of repentance flooded it's shore. 
A man came back from
 river, thirsty to core.

इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर। 
फिर उम्र भर हवा से मिरी दुश्मनी रही। 
..... परवीन शाकिर.....

I just wrote your name on sea sand shore. 
Enmity with wind was for life, ever more.

बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी। 
डूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया।..... अब्दुल हमीद अदम.....

Embrace the tempest, go ahead,don't think. 
You can not reach the shore,
 will surely sink.

देखा उसे तो आँख से आँसू निकल पड़े। दरिया अगरचे ख़ुश्क था पानी तहों में था।
..... नासिर ज़ैदी.....

Seeing it, tears appeared in my eye. 
With wet sand layers, river was dry. 

कहाँ मैं अभी तक नज़र आ सका हूँ 
ख़ुदा जाने कितनी तहों में छुपा हूँ 
..... दिल अय्यूबी..... 

I can't be visualised by any side.
 God knows how many layers hide? 

ये उदासी का सबब पूछने वाले 'अजमल'।
क्या करेंगे जो उदासी का सबब बतलाया?.....अजमल सिराज.....

'Ajmal'! Those who ask me, why am I sad? 
What will they do if I tell, why am I sad? 

उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई 
जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था 
..... परवीन शाकिर.. 

For  break up,there might be some reason, his stand. 
The heart doesn't accept, he was infidel before hand. 

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम? 
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।..... अहमद फ़राज़..... 

To how many persons can I tell cause of our break up? 
If you are angry with me, come for the world to shut up. 

जिसे मंज़िल समझ कर रुक गए हम। 
वहीं से अपना आग़ाज़-ए-सफ़र था। 
..... बशीर महताब..... 

Where I stopped thinking it was goal. 
That was start of journey as a whole. 

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही 
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....

Let there be an effort, if 
goal isn't in view. 
If meeting isn't there, let  desires be, a few. 

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में 
नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में..... अल्लामा इक़बाल..... 

When hawk soul gets free within the young. 
They see their goals in the 
 sky far flung. 

अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी 
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी..... शकील आज़मी..... 

How difficult it is to reach goal and stand. 
How difficult it is to be old and hold hand. 

ये अलग बात कि मैं नूह नहीं था लेकिन 
मैं ने कश्ती को ग़लत सम्त में बहने न दिया..... अज़हर इनायती..... 

It's a different story that I wasn't Nooh as a guide. 
But I didn't allow the ship
 to go wayward any side. 

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