और सुब्ह-ए-बनारस है रुख़-ए-यार का परतव।..... वाहिद प्रेमी.....
Avadh evening is a reflection of my beloved's tresses.
Shadow of her face is Benaras morn', that impresses.
परतव से जिस के आलम-ए-इम्काँ बहार है।
वो नौ-बहार-ए-नाज़ अभी रह-गुज़र में है
..... अली सरदार जाफ़री.....
Whose reflection as worldly possibilities is spring.
Still on her way is that stylish new spring.
थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करते।
कुछ और थक गया हूँ आराम करते करते।..... ज़फ़र इक़बाल.....
It was essential to be tired while working at a stretch.
Now I am tired even more
by resting at a stretch.
न जाने कह गए क्या आप मुस्कराने
में।
है दिल को नाज़ कि जाँ आ गई फ़साने
में ।..... परवेज़ शाहिदी .....
What was said by your smile as wind in the sail?
Heart is graceful that a life is infused in my tale.
पहले इस में इक अदा थी, नाज़ था, अंदाज़ था।
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया।..... आग़ा शायर क़ज़लबाश.....
Earlier there was coquetry, grace 'n style in it my love.
To be annoyed is now a part
of your habit my love!
गई यक-ब-यक जो हवा पलट, नहीं दिल को मेरे क़रार है।
कहूँ उस सितम से मैं हाल क्या, मिरा ग़म से सीना फ़िगार है।
..... बहादुर शाह ज़फ़र.....
There's in wind a sudden change, peace for heart is out of range.
How can I to her express, my heart is in a state of distress.
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो ।
वही यानि वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो ।.
.... मोमिन ख़ान मोमिन.....
Between us there was a word of trust, whether you remember or not is just.
Yes that promise to adjust,
whether you recollect is not
a must.
जाते हो खुदा-हाफ़िज़ बस इतनी गुज़ारिश है।
जब याद हम आ जाएँ, मिलने की दुआ करना।..... जलील मानिकपुरी.....
Good bye as you leave, there's a request to perceive.
Whenever I come to mind, pray Him to meet and bind.
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो ।
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।..... राहत इन्दौरी.....
Her memories are in flow, O breaths just go slow.
Even heartbeats perturb, in prayer these disturb.
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें।
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं।
..... फ़िराक़ गोरखपुरी.....
You were not in my memories since long.
And I forgot , was not where you belong.
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब।
आज तुम याद करते हुए बे-हिसाब आए।
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....
I was keeping an account of the worldly pain.
In my memories, you came again and again.
REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS.. 19.9.22
कभी सैय्याद का खटका है कभी ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ।
बुलबुल बस जान हथेली पे लिए बैठी है।
Fear of captor or autumn to come.
Nightingale is always afraid of some.
बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला।
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में..... बहादुर शाह ज़फ़र.....
Neither for gardener nor captor does nightingale lament.
To be put behind bars in spring is my fortune's comment.
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम।
आह करता हूँ तो सय्याद ख़फ़ा होता है।
..... क़मर जलालवी.....
If I control, in prison, it stifles my breath.
If I sigh, the captor gets angry to death.
न अपने ज़ब्त को रुस्वा करो सता के मुझे।
ख़ुदा के वास्ते देखो न मुस्करा के मुझे।
Don't disgrace your control by taking your toll.
By God! Don't see me with a smile on the roll.
मौसम-ए-याद न उजलत में यूँ वारे जाएँ।
हम वो लम्हे हैं जो फ़ुरसत से गुज़ारे जाएँ।..... कुलदीप कुमार.....
It's season of remembrance , don't waste in haste.
We are moments to be spent
at leisure so chaste.
कौन सा जुर्म ख़ुदा जाने हुआ है साबित।
मशवरे करता है मुंसिफ़ जो गुनहगार के साथ।..... सलीम सिद्दीक़ी.....
Only God knows what a
crime has been proved.
Judge 'n culprit are in consultation grooved.
है कायनात को हरकत तेरे ज़ौक़ से।
परतव से आफ़ताब के ज़र्रे में जान है।
.... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
There's movement in universe with your taste.
Each grain of sand reflects the sun as chaste.
ज़ाहिद ने मिरा हासिल-ए-ईमाँ नहीं देखा।
रुख़ पर तिरे ज़ुल्फ़ों को परेशाँ नहीं देखा।
..... असग़र गौंडवी.....
My gain of beliefs, the recluse didn't witness.
Didn't face your face with tress in distress.
ऐ जुनूँ ! फिर मिरे सर पर वही शामत आई।
फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई।
..... आसी ग़ाज़ीपुरी.....
O frenzy! Calamity has struck me again.
Heart is trapped in tress with disdain.
Translated by Ravi Maun.
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