Monday, 26 September 2022

RIAZ KHAIRABADI.. GHAZAL

दर्द हो तो दवा करे कोई 

मौत ही हो तो क्या करे कोई 

न सताए कोई उन्हें शब-ए-वस्ल 

उन की बातें सुना करे कोई 

बंद होता है अब दर-ए-तौबा 

दर-ए-मय-ख़ाना वा करे कोई 

क़ब्र में आ के नींद आई है 

न उठाए ख़ुदा करे कोई 

थीं ये दुनिया की बातें दुनिया तक 

हश्र में क्या गिला करे कोई

उठी जब झुकी जबीन-ए-नियाज़ 

किस तरह इल्तिजा करे कोई 

बोसा लें ग़ैर दें सज़ा हम को 

हम हैं मुजरिम ख़ता करे कोई 

बिगड़े गेसू तो बोले झुँझला कर 

न बलाएँ लिया करे कोई 

नज़्अ' में क्या सितम का मौक़ा है 

वक़्त है अब दुआ करे कोई 

हश्र के दिन की रात हो कि न हो 

अपना वा'दा वफ़ा करे कोई 

न सताए कोई किसी को 'रियाज़' 

न सितम का गिला करे कोई

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