वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
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इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ
टैग : दुनिया
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
टैग्ज़ : अदा और 1 अन्य
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
टैग्ज़ : वैलेंटाइन डे और 1 अन्य
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं
टैग्ज़ : इल्म और 1 अन्य
पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए
टैग : तंज़-ओ-मिज़ाह
रहता है इबादत में हमें मौत का खटका
हम याद-ए-ख़ुदा करते हैं कर ले न ख़ुदा याद
अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से
लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से
टैग : मिज़ाह
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है
मैं भी ग्रेजुएट हूँ तुम भी ग्रेजुएट
इल्मी मुबाहिसे हों ज़रा पास आ के लेट
टैग : तंज़-ओ-मिज़ाह
बी.ए भी पास हों मिले बी-बी भी दिल-पसंद
मेहनत की है वो बात ये क़िस्मत की बात है
टैग : तंज़-ओ-मिज़ाह
लिपट भी जा न रुक 'अकबर' ग़ज़ब की ब्यूटी है
नहीं नहीं पे न जा ये हया की ड्यूटी है
टैग : मिज़ाह
हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैं
कि जिन को पढ़ के लड़के बाप को ख़ब्ती समझते हैं
टैग : तंज़
ग़ज़ब है वो ज़िद्दी बड़े हो गए
मैं लेटा तो उठ के खड़े हो गए
टैग : मिज़ाह
इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम
वस्ल का दिल से मिरे अरमान रुख़्सत हो गया
टैग : मिज़ाह
हक़ीक़ी और मजाज़ी शायरी में फ़र्क़ ये पाया
कि वो जामे से बाहर है ये पाजामे से बाहर है
टैग : मिज़ाह
जो वक़्त-ए-ख़त्ना मैं चीख़ा तो नाई ने कहा हँस कर
मुसलमानी में ताक़त ख़ून ही बहने से आती है
धमका के बोसे लूँगा रुख़-ए-रश्क-ए-माह का
चंदा वसूल होता है साहब दबाव से
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कोट और पतलून जब पहना तो मिस्टर बन गया
जब कोई तक़रीर की जलसे में लीडर बन गया
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