Sunday, 2 October 2022

AMJAD NAJMI.. GHAZAL.. JAB DIL HII NAHIIN MIRE HAI PAHLUU MEN PHIR ISHQ KAA SAUDAA KAUN KAREY.......

जब दिल ही नहीं है पहलू में फिर इश्क़ का सौदा कौन करे 
अब उन से मोहब्बत कौन करे अब उन की तमन्ना कौन करे 

When heart is not by the side, why bargain for love? 
Now why the desire for her,now why contain her love? 

अब हिज्र के सदमे सहने को पत्थर का कलेजा कौन करे 
इन लम्बी लम्बी रातों का मर मर के सवेरा कौन करे 

To bear grief over separation, who can have stone heart? 
Dieing slowly in long nights till morn', retain life as above. 

हम रस्म-ए-वफ़ा को मानते हैं आदाब-ए-मोहब्बत जानते हैं 
हम बात की तह पहचानते हैं फिर आप को रुस्वा कौन करे 

About manners of love I'm aware, of fidelity I'm beware.
Root of talk I'm aware, but 
why defame my love? 

ऐ जज़्बा-ए-उल्फ़त तू ही बता कुछ हद भी है इस नाकामी की 
मायूस निगाहों से उन का महफ़िल में नज़ारा कौन करे 

Who can with hopeless eyes, face her in the gathering? 
What's the limit of helplessness in the emotions of love? 

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