Sunday 9 October 2022

FARHAT EHSAAS.. GHAZAL.. KHAAK HAI MERAA BADAN KHAAK HII USKAA HOGAA...


ख़ाक है मेरा बदन ख़ाक ही उस का होगा 
दोनों मिल जाएँ तो क्या ज़ोर का सहरा होगा 

Sand is my body, her's will be sand. 
If we unite, what a desert land !

फिर मिरा जिस्म मिरी जाँ से जुदा है देखो 
तुम ने टाँका जो लगाया था वो कच्चा होगा 

My body and life are apart again. 
Stitch you used, was weak strand. 

तुम को रोने से बहुत साफ़ हुई हैं आँखें 
जो भी अब सामने आएगा वो अच्छा होगा 

Weeping for you, has cleared eyes. 
Now, what confronts, will be grand. 

रोज़ ये सोच के सोता हूँ कि इस रात के बाद 
अब अगर आँख खुलेगी तो सवेरा होगा 

Daily I think before sleep, at night
Now if I rise, morn' will expand

क्या बदन है कि ठहरता ही नहीं आँखों में 
बस यही देखता रहता हूँ कि अब क्या होगा

What a body, can't be held in eyes ! /even the eyes slip ! 
I keep seeing, how 'll it be manned? 

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