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Friday, 28 October 2022

HAIRAT ALAAHAABAADI.. GHAZAL.. AAGAAH APNI MAUT SE KOI BASHAR NAHIIN

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं 

सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं 

आ जाएँ रोब-ए-ग़ैर में हम वो बशर नहीं 

कुछ आप की तरह हमें लोगों का डर नहीं 

इक तो शब-ए-फ़िराक़ के सदमे हैं जाँ-गुदाज़ 

अंधेर इस पे ये है कि होती सहर नहीं 

क्या कहिए इस तरह के तलव्वुन-मिज़ाज को 

वादे का है ये हाल इधर हाँ उधर नहीं 

रखते क़दम जो वादी-ए-उल्फ़त में बे-धड़क 

'हैरत' सिवा तुम्हारे किसी का जिगर नहीं

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