Thursday, 13 October 2022

JAAN NISAAR AKHTAR.. GHAZAL.. DIL KO HAR LAMHAA BACHAATE RAHE JAZBAAT SE HAM....

दिल को हर लम्हा बचाते रहे जज़्बात से हम 

इतने मजबूर रहे हैं कभी हालात से हम 

नश्शा-ए-मय से कहीं प्यास बुझी है दिल की 

तिश्नगी और बढ़ा लाए ख़राजात से हम 

आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ से 

चौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम 

इश्क़ में आज भी है नीम-निगाही का चलन half open eyes

प्यार करते हैं उसी हुस्न-ए-रिवायात से हम beauty of tradition 

मर्कज़-ए-दीदा-ए-ख़ुबान-ए-जहाँ हैं भी तो क्या center of attraction of eyes of world, beloved

एक निस्बत भी तो रखते हैं तिरी ज़ात से हम relation/ breed, caste, tribe

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