कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में..... इक़बाल.....
तड़प कर मैं ने तौबा तोड़ डाली
तिरी रहमत पे इल्ज़ाम आ रहा था
..... अब्दुल हमीद अदम.....
तड़प तड़प के तमन्ना में करवटें बदलीं
न पाया दिल ने हमारे क़रार सारी रात
..... इमदाद इमाम असर.....
ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है..... शाद अज़ीमाबादी.....
की है उस्ताद-ए-ग़ज़ल ने ये रुबाई मौज़ूँ
चार उंसुर से खुले मानी-ए-पिन्हा हम को
..... शाह नसीर..... elements
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो
..... लाला माधव राम जौहर.....
मोहब्बत सुल्ह भी पैकार भी है
ये शाख़-ए-गुल भी है तलवार भी है
..... जिगर मुरादाबादी.....
ज़माना हो गया ख़ुद से मुझे लड़ते-झगड़ते
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ..... इफ़्तिख़ार आरिफ़.....
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बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया
..... साहिर लुधियानवी.....
मुझे पता है कि बर्बाद हो चुका हूँ मैं
तू मेरा सोग मना मुझ को सोगवार न कर
..... अंजुम सलीमी.....
मैं अपने शहर से मायूस हो के लौट आया
पुराने सोग बसे थे नए मकानों में
..... साक़ी फ़ारूक़ी.....
अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ तस्कीन हो जाती
किनारों ने डुबोया है मुझे इस बात का ग़म है..... दिवाकर राही.....
मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर पहुँच कर चैन पाते हैं
वो मौजें सर पटकती हैं जिन्हें साहिल नहीं मिलता..... मख़्मूर देहलवी.....
मुज़्तरिब हैं मौजें क्यूँ उठ रहे हैं तूफ़ाँ क्यूँ
क्या किसी सफ़ीने को आरज़ू-ए-साहिल है..... अमीर क़ज़लबाश.....
नाख़ुदा मौजों की इस नर्म-ख़िरामी पे न जा
यही मौजें तो बदल जाती हैं तूफ़ानों में
श..... सैयद नवाब अफ़सर लखनवी.....
पलटने वाले परिंदों पे बद-हवासी है
मैं इस ज़मीं का कहीं आख़िरी शजर तो नहीं..... अब्बास क़मर.....
Agitated are the birds on their return.
Am I the last tree on earth in turn?
वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब
दिल की गिरह के साथ खुलेगा मिरा नसीब..... हसन बरेलवी.....
If she agrees, the pleasure of meeting 'll be in fate.
As the heart knots open, will also open my fate.
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