अभी कोसों मुझे चलना पड़ेगा
एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी
कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं
ये तअल्लुक़ ज़रूरी है किस ने कहा
वो भी ख़ामोश था मैं भी ख़ामोश थी
मैं ने कहा था मुझ को अँधेरे का ख़ौफ़ है
उस ने ये सुन के आज मिरा घर जला दिया
मुझ को उस के नहीं ख़ुद मेरे हवाले करते
कम से कम ये तो मिरे चाहने वाले करते
ऐसे कुछ हादसे भी गुज़रे हैं
जिन पे मैं आज तक नहीं रोई
जज़्बों पर जब बर्फ़ जमे तो जीना मुश्किल होता है
दिल के आतिश-दान में थोड़ी आग जलानी पड़ती है
बे-क़रारी से मिरे पास वो आया लेकिन
उस ने पूछा भी तो बस ये कि फुलाँ कैसा है
मैं एक रोज़ उसे ढूँड कर तो ले आऊँ
वो अपनी ज़ात से बाहर कहीं मिले तो सही
सर्द होते हुए वजूद में बस
कुछ नहीं था अलाव आँखें थीं
इस को आदत न तुम बना लेना
वो तुम्हें छोड़ भी तो सकता है
एक नश्शा है ये मोहब्बत भी
जो बदन तोड़ भी तो सकता है
हमारे सानिहे हम को सुना रहे क्यूँ हो
तुम इतना बोझ भी दिल पर उठा रहे क्यूँ हो
तुम्हारी छाँव में बैठे उठा दिया तुम ने
फिर अब पुकार के वापस बुला रहे क्यूँ हो
जो बात सब से छुपाई थी उम्र भर हम ने
वो बात सारे जहाँ को बता रहे क्यूँ हो
जब एक पल भी गुज़रना मुहाल होता है
फिर इतनी देर भी हम से जुदा रहे क्यूँ हो
तुम्हारी आँख में आँसू दिखाई देते हैं
तुम इतनी ज़ोर से हँस के छुपा रहे क्यूँ हो
जो कर लिया है जुदाई का फ़ैसला तुम ने
तो ये फ़ुज़ूल बहाने बना रहे क्यूँ हो
न जाने किस लिए आँखों में आ गए आँसू
ज़रा सी बात को इतना बढ़ा रहे क्यूँ हो
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