Sunday, 13 November 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL.. AB TO ANGAARON KE LAB CHOOM KE SO JAAYENGE...

अब तो अँगारों के लब चूम के सो जाएँगे 
हम वो प्यासे हैं जो दरियाओं को तरसाएँगे 

Now we will kiss embers and sleep strong. 
We are that thirsty that the streams will long. 

ख़्वाब आईने हैं आँखों में लिए फिरते हो 
धूप में चमकेंगे टूटेंगे तो चुभ जाएँगे 

 Mirrors are dreams, within eyes it streams. 
In sun 'll shine and shatter, splinter will pierce' n matter. 

सुब्ह तक दिल के दरीचों को खुला रहने दो 
दर्द गुमराह फ़रिश्ते हैं कहाँ जाएँगे 

Till morning keep apart, the doors of heart 
Pain angels have lost way, where will they go say. 

नींद की फ़ाख़्ता सहमी हुई है आँखों में 
तीर यादों की कमीं-गाहों से फिर आएँगे

The beloved of sleep, in eyes dithers deep.
Memory arrows will aim, from the lairs to maim. 

No comments:

Post a Comment