Saturday, 12 November 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL.. BHIIGII HUI AANKHON KA YE MANZAR NA MILEGAA.....

भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा 

घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा 

फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम 

जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा 

आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना 

ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा 

इस ख़्वाब के माहौल में बे-ख़्वाब हैं आँखें 

जब नींद बहुत आएगी बिस्तर न मिलेगा 

ये सोच लो अब आख़िरी साया है मोहब्बत 

इस दर से उठोगे तो कोई दर न मिलेगा

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