Saturday, 12 November 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे 

कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे 

ख़ता-वार समझेगी दुनिया तुझे 

अब इतनी ज़ियादा सफ़ाई न दे 

हँसो आज इतना कि इस शोर में 

सदा सिसकियों की सुनाई न दे 

ग़ुलामी को बरकत समझने लगें 

असीरों को ऐसी रिहाई न दे 

ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है 

रहे सामने और दिखाई न दे

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