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Saturday, 12 November 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL

मैं कब तन्हा हुआ था याद होगा 

तुम्हारा फ़ैसला था याद होगा 

बहुत से उजले उजले फूल ले कर 

कोई तुम से मिला था याद होगा 

बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें 

कोई आँसू गिरा था याद होगा 

उदासी और बढ़ती जा रही थी 

वो चेहरा बुझ रहा था याद होगा 

वो ख़त पागल हवा के आँचलों पर 

किसे तुम ने लिखा था याद होगा

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