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Saturday, 12 November 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL

चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली 

सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली 

दाएरे अँधेरों के रौशनी के पोरों ने 

कोट के बटन खोले टाई की गिरह खोली 

शीशे की सिलाई में काले भूत का चढ़ना 

बाम काठ का घोड़ा नीम काँच की गोली 

बर्फ़ में दबा मक्खन मौत रेल और रिक्शा 

ज़िंदगी ख़ुशी रिक्शा रेल मोटरें डोली 

इक किताब चाँद और पेड़ सब के काले कॉलर पर 

ज़ेहन टेप की गर्दिश मुँह में तोतों की बोली 

वो नहीं मिली हम को हुक बटन सरकती जीन 

ज़िप के दाँत खुलते ही आँख से गिरी चोली

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