Wednesday, 30 November 2022

KAIF BHOPAALI.. GHAZAL. TERAA CHEHRAA KITNAA SUHANAA LAGTAA HAI....

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है

How pleasant is your face? 
Old moon has just  no place
 
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है

Slanted eye arrows are there.
Straight on heart finds place. 
 
आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है

Fire takes a moment to arise. 
For dousing takes time space. 
 
पाँव ना बाँधा पंछी का पर बाँधा है
आज का बच्चा कितना सियाना लगता है

Today 's child has lot of sense. 
Tied wing, not foot in place. 
 
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है

True, flower heart is shattered. 
An excuse is the smiling face. 
 
सुनने वाले घंटों सुनते रहते हैं
मेरा फ़साना सब का फ़साना लगता है

For hours people listen this tale
My tale belongs to all in place. 
 
'कैफ़' बता क्या तेरी ग़ज़ल में जादू है
बच्चा बच्चा तेरा दिवाना लगता है 

O 'Kaif'! Is your ghazal magical
Each child has a frenzied face. 
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था / मेराज फ़ैज़ाबादी
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था

तेरी तस्वीर से करता था बातें
मेरे कमरे में आईना नहीं था

समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था

मनाने रूठने के खेल में हम
बिछड़ जाएँगे ये सोचा नहीं था

सुना है बंद कर लीं उसने आँखें
कई रातों से वो सोया नहीं था 

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं / कैफ़ी आज़मी
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
 
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
 
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं
 
तिरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ए'तिबार है कि नहीं 
फूलों की तरह लब खोल कभी / गुलज़ार
फूलों की तरह लब खोल कभी
ख़ुशबू की ज़बाँ में बोल कभी
 
अल्फ़ाज़ परखता रहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
 
अनमोल नहीं लेकिन फिर भी
पूछ तो मुफ़्त का मोल कभी
 
खिड़की में कटी हैं सब रातें
कुछ चौरस थीं कुछ गोल कभी
 
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
हो जाता है डाँवा-डोल कभी


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