Friday, 11 November 2022

MAKHDUUM MOHIUDDIN.. GHAZAL.. ISHQ KE SHOLON KO BHADKAAO KI KUCHH RAAT KATE

इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे inflame, ignite

दिल के अँगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे inflame, ignite 

हिज्र में मिलने शब-ए-माह के ग़म आए हैं 

चारासाज़ों को भी बुलवाओ कि कुछ रात कटे 

कोई जलता ही नहीं कोई पिघलता ही नहीं 

मोम बन जाओ पिघल जाओ कि कुछ रात कटे 

चश्म ओ रुख़्सार के अज़़कार को जारी रक्खो discussion 

प्यार के नामे को दोहराओ कि कुछ रात कटे 

आज हो जाने दो हर एक को बद-मस्त-ओ-ख़राब excessively drunk

आज एक एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे 

कोह-ए-ग़म और गिराँ और गिराँ और गिराँ mountain of sorrows, heavy

ग़म-ज़दो तेशे को चमकाओ कि कुछ रात कटे afflicted with pain,, axe,, sharpen

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