Friday, 4 November 2022

MIR TAQI MIR.. GHAZAL.. HASTI APNI HUBAAB KI SI HAI..

हस्ती अपनी हबाब की सी है
ये नुमाइश सराब की सी है

Life as a bubble has been. 
A mirage exhibited is seen. 

नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिये
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है

How delicate are her lips?
As rose petals are seen. 

बार-बार उस के दर पे जाता हूँ 
हालत अब इज़्तराब की सी है

Many times I visit her gate. 
An agitated state has been. 

'मीर' उन नीम-बाज़ आँखों में
सारी मस्ती शराब की सी है

'Mir' in her half closed eyes.
Full frenzy of wine is seen. 

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